आम आदमी को राहत देने के लिए केंद्र सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव कर सकती है। टैक्स चोरी में कमी लाने के लिए डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) पर बनी समिति ने पर्सनल इनकम टैक्स की दरों में बदलाव का सुझाव दिया है। पर्सनल इनकम टैक्स की दरों के मामले में समिति ने 5, 10 और 20 फीसदी के तीन स्लैब की सिफारिश की है, जबकि अभी 5, 20 और 30 फीसदी की दर से इनकम टैक्स वसूला जाता है।
समिति ने पिछले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपी गई रिपोर्ट में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) को खत्म करने और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) और सिक्यॉरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) को बनाए रखने का भी सुझाव दिया है। सूत्रों ने बताया, ‘टैक्स स्लैब में बदलाव से सरकार की आमदनी में कुछ समय के लिए कमी आ सकती है। इस पर सरकार को निर्णय लेना होगा। इस फैसले से दो-तीन साल तक आमदनी घटेगी, लेकिन इससे रिटर्न फाइल करने में आसानी होगी। टैक्सेशन सिंपल होगा। अलग-अलग तरह की छूट खत्म होंगी।’
अभी भारतीय कंपनियों को किसी वित्त वर्ष में घोषित या चुकाए गए कुल डिविडेंड पर 15 फीसदी का डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स देना पड़ता है। इस पर 12 फीसदी का सरचार्ज और 3 फीसदी का एजुकेशन सेस भी लगता है। इससे कुल टैक्स 20.35 फीसदी हो जाता है। फिलहाल डिविडेंड पर तीन बार टैक्स लग रहा है। पहले तो कंपनियों को कुल मुनाफे पर कॉर्पोरेट टैक्स देना पड़ता है, उसके बाद वे डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स चुकाती हैं और निवेशकों के हाथ में भी इस पर टैक्स की देनदारी बनती है। इस वजह से भारतीय शेयर बाजार ग्लोबल मार्केट में अनाकर्षक बन गया है।