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अमरनाथ यात्रियों के लिए संकट मोचन हैं सीआरपीएफ के जवान

अनंतनाग में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर घाटी में सुरक्षा कर्मियों ने मुस्तैदी और बढ़ा दी हैं । जम्मू से लेकर पहलगाम तक और बालटाल से लेकर श्रीनगर तक सड़क की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ की है । यही नहीं कश्मीर के मौजूदा हालात में जनसंपर्क के हर एक जगह पर कानून व्यवस्था की भी जिम्मेदारी का बेड़ा सीआरपीएफ पर ही हैं । घाटी में तमाम लोग सीआरपीएफ को अमन के फरिश्ते के तौर पर देखते हैं । यह ४०००० जवानों की सशक्त सीआरपीएफ ही है जिसके चलते कश्मीर में जिंदगी साधारण पटरी पर चलती हैं । कश्मीर में मौसम तूफानी है लेकिन सीआरपीएफ के बहादुर जवान मुस्तैदी से डटे रहते हैं । पहलगाम से लेकर पंथा चौक चंदनवाड़ी से लेकर बालटाल, पूरे इलाके में सीआरपीएफ जवानों का तगड़ा पहरा रहता हैं । मजाल क्या कि इनकी इजाजत के बगैर परिंदा भी पर मार ले। आपको बता दें कि पूरे इलाके में सीआरपीएफ की करीब १२५ कंपनियां और ४७ बटालियन तैनात हैं । कुल मिलाकर सीआरपीएफ के करीब ४० हजार जवान अमरनाथ यात्रा मार्ग की निगरानी कर रहे हैं । गौरतलब है कि साल २००० में पहलगाम बेस कैंप पर आतंकियों का हमला होने के बाद से ही सीआरपीएफ के जरिए अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को चाक चौंबंद किया गया हैं । उसके बाद से यहां पर यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ी हैं। सीआरपीएफ जम्मू कश्मीर में संकटमोचन की भूमिका में लोगों की मदद के लिए खड़ी हैं । जगह जगह सीआरपीएफ के नाके हैं । बाजार से लेकर स्कूलों के बाहर पुलिस थाने से लेकर चौक चौराहों पर सीआरपीएफ की नजर रहती हैं । सीआरपीएफ के जवान आधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं । जैमर्स, सेटैलाइट ट्रेकर्स, बुलेट प्रूफ बंकर से लेकर डॉग स्कवॉड और बम डिटेक्शन स्कवॉड के साथ केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान आतंकियों का हर मंसूबा ध्वस्त करने के लिए तत्पर रहते हैं । पहलगाम से १५ किलोमीटर दूर चंदनवाडी कैंप पर यात्री शेषनाग के लिए निकलने से पहले थोड़ी देर विश्राम करते हैं । इन दिनों सीआरपीएफ ने अपनी मुस्तैदी बढ़ाई हैं । जगह-जगह पर पेट्रोलिंग हो रही हैं ।

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