देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी द्वारा स्थापना कराये गये साबरमती गांधी आश्रम को १०० वर्ष पूरा हुआ है और इसकी शताब्दी उत्सव चल रहा है तब आश्रम के वहीवट में घोटाला, आश्रम के व्यापारीकरण सहित के मुद्दों को लेकर विवाद शुरू हो गया है । खुद आश्रमवासी द्वारा सत्य की लड़ाई शुरू करके ट्रस्टियों के कार्यों का उजागर करना और गांधी आश्रम की गरिमा बचाने के उद्देश्य से सोमवार से गांधीजी के बताये रास्ते पर उपवास आंदोलन शुरू करने की घोषणा की गई है । साबरमती हरिजन आश्रम बचाओ के तहत आश्रमवासियों के उपवास आंदोलन में तीन आश्रमवासी अनशन पर उतरेगे, जबकि हररोज पांच नये आश्रमवासी प्रतीक उपवास पर बैठेंगे । आश्रम के विवादित प्रश्नों को लेकर आश्रमवासियों द्वारा आगामी दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जबकि अहमदाबाद आनेवाले है तब उनको इस बारे में बातचीत किया जाएगा । साबरमती हरिजन आश्रम बचाओ समिति के संयोजक धीमंत बढिया, हेमंत चौहाण और शैलेष राठोड सहित के अग्रणी की तरफ से आश्रम के घोटाले सहित के मामले को लेकर राज्य सरकार सहित के संबंधित सत्ताधीशों के समक्ष बारबार पेशकश करने के बावजूद भी कोई निराकरण नहीं आने पर आश्रमवासियों को मजबूरी में अहिंसक आंदोलन करना अनिवार्य हो गया है । इस बारे में समिति के संयोजक धीमंत बढिया ने बताया है कि, गांधी आश्रम को १०० वर्ष पूरा हुआ इसके शताब्दी उत्सव के समय ही हमारे आश्रम के संचालकों के विरूद्ध ही उपवास पर उतरना यह बहुत आघातजनक घटना है । गांधीजी ने तो अंग्रेजों के विरूद्ध अहिंसक आंदोलन शुरू किया था लेकिन हमारी करूणता तो हमारे ही लोग यानी कि, आश्रम के संचालकों के विरूद्ध उपवास आंदोलन करना अनिवार्य हो गया है । उन्होंने बताया है कि, हमारी मुख्य मांग तो साबरमती आश्रम का नाम गांधीजी ने खुद ही हरिजन आश्रम रखा था, इसी वजह से वह मूल नाम फिर से जारी किया जाए, आश्रम के घोटाले के मुद्दे पर डायरेक्टर खुद इस्तीफा दे ।