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શિક્ષણ

कक्षा-५-८ के विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षा ली जाएगी

आरटीई एक्ट के तहत बच्चों के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिनियम-२००९ की धारा-१६ में भारत सरकार ने १० जनवरी-२०१९ को महत्व का संशोधन करते हुए राज्य सरकार ने भी २१.०९.२०१९ को अध्यादेश जारी करके बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार नियम-२०१२ के नियम-२४ में महत्व का संशोधन किया गया है । प्राथमिक शिक्षा में सकारात्मक और गुणवत्ता में बदलाव लाने के उद्देश्य से यह महत्व का संशोधन किया गया है । आरटीई एक्ट २००९ की धारा-१६ के अनुसार किसी भी बच्चे को कक्षा-१ से ८ तक की कक्षा में रोका नहीं जा सकेगा यानी कि कक्षा-१ से ८ किसी भी कक्षा में फेल नहीं किया जा सकेगा ऐसा प्रावधान था इसमें केंद्र सरकार द्वारा आरटीई एक्ट की धारा-१६ में संशोधन करते हुए राज्य सरकार द्वारा भी आरटीई नियम में संशोधन किया गया है । यह संशोधन की वजह से महत्व का बदलाव होगा । यह बदलाव के तहत हरएक शैक्षणिक वर्ष को आखिर में कक्षा-५ और कक्षा-८ में वार्षिक परीक्षा ली जाएगी । इस परीक्षा में विद्यार्थी यदि फेल हुआ तो वार्षिक परीक्षा बाद के दो महीने के दौरान अतिरिक्त की शिक्षा उपलब्ध कराकर परीक्षा की और एक मौका दिया जाएगा । इसमें भी यदि फेल हुआ तो इसे फेल किया जाएगा । यह परीक्षा जीसीईआरटी द्वारा लिया जाएगा । यह प्रावधान शैक्षणिक वर्ष २०१९-२० से लागू किया जाएगा । यह परीक्षा में फेल हुए बच्चे अन्य स्कूल में एडमिशन ले ऐसे हालात में उम्र आधारित एडमिशन के बदले में यह बच्चा जिस कक्षा में फेल हुआ हो तो कक्षा में फिर से एडमिशन देना पड़ेगा । प्राथमिक शिक्षा में दाखिल किए किसी भी बच्चे को प्राथमिक शिक्षा पूरा होने तक में यह सिवाय के किसी भी वजह से किसी भी कक्षा में रोका नहीं जा सकेगा । इसके अलावा किसी बच्चे को प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं हो तब तक स्कूल से निकाला नहीं जा सकता है ।

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