क्रुड ऑयल के ग्लोबल प्राइसेज में ९ डॉलर प्रति बैरल की बड़ी कमी होने से देश में फ्यूल प्राइसेज जल्द नीचे आ सकते है । इससे यह अटकल लग रही है कि प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में ऑयल प्राइसेज में क्या वैसी ही कमी आएगी, जो उनके पहले कार्यकाल के आरंभ में दिखी थी । सोमवार को क्रुड का प्राइस गिरकर ६१ डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया, जो गुरुवार को ७० डॉलर से अधिक था । इसका कारण अमेरिका और चीन और मेक्सिको जैसे उसके कुछ प्रमुख व्यापारिक सहयोगी देश के बीच तनाव बढ़ने से वैश्विक मंदी की आशंका है । देश के ऑयल मार्केट पर ग्लोबल ट्रेंड का असर दिखना शुरू हो गया है । २९ मई से पेट्रोल ५६ पैसे और डीजल ९३ पैसे प्रति लीटर सस्ता हुआ है । अगर क्रुड ऑयल के ग्लोबल प्राइसेज में कमी जारी रहती है तो डोमेस्टिक मार्केट में क्यूल और सस्ता होगा । भारतीय पेट्रोलियम कंपनियां फ्यूल के प्रति दिन के रेट को तय करने के लिए इंटरनेशनल फ्यूल प्राइसेज और करेंसी में उतार-चढ़ाव के औसत का इस्तेमाल करती है । इससे लोकल प्राइसेज में ग्लोबल मार्केट का असर तुरंत नहीं दिखता । अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रप की आक्रामक ट्रेड पॉलिसी से कमोडिटी मार्केट में घबराहट है । ऐसी आशंका है कि ट्रेड वॉर के कारण ऑयल की डिमांड घट सकती है । ग्लोबल स्लोडाउन के साथ ही अमेरिका में ऑयल का प्रॉडक्शन बढ़ने से ईरान और वेनेजुएला से सप्लाई में कमी का असर समाप्त हो जाएगा । अमेरिकी की ओर से ईरान को लेकर सभी छूट समाप्त करने और प्रत्येक देश को ईरान से ऑयल इम्पोर्ट में कमी लाने के लिए मजबूर करने से २४ अप्रैल को क्रुड का प्राइस बढ़कर ७५ डॉलर पहुंच गया था ।