अहमदाबाद शहर में जिका वायरस के मामले विश्व स्वास्थ्य संस्था द्वारा रिपोर्ट देने के बाद बचाव की भूमिका में आई अहमदाबाद म्युनिसिपल कोर्पोरेशन के लिए सबसे शरमजनक बात यह है कि ६५५१ करोड का जंगी बजट होने के बावजूद विभिन्न बिमारियों के वायरोलोजिकल टेस्ट के लिए लेबोरेटरी की व्यवस्था नहीं है । पुणे स्थित लेबोरेटरी से दो या तीन महीने बाद रिपोर्ट आने तक मामल किसी को याद नहीं था । मिली जानकारी के अनुसार अहमदाबाद शहर के पूर्व इलाके में स्थित बापूनगर में एक महिला को गर्भवती अवस्था के दौरान बुखार होने पर खून का सेम्पल लिया गया था । १४ नवंबर २०१६ के दिन लिए गए सेम्पल के बाद को स्पष्ट संकेत नहीं मिलने से यह सेम्पल को बीजे मेडिकल कोलेज में भेजा गया । जिसके बाद कोलेज सत्ताधिकारियों द्वारा इस सेम्पल को पुणे स्थित नैशनल वायरोलोजी लेबोरेटरी में भेजा गया था जहां जनवरी २०१७ में यह गर्भवती महिला के खून के सेम्पल में जिका वायरस की लाक्षणिकता देखने मिली । इसके बाद मार्च महीने में इस मुद्दे पर संसद में खुलासा हुआ । अहमदाबाद शहर के मेयर गौत्तम शाह और म्युनिसिपल कमिशनर मुकेश कुमार ने रविवार के दिन अहमदाबाद शहर की मच्छरमुक्त करने के इरादे से एक जून से अभियान को तेज करने की बडी बडी बाते हुई है । लेकिन कडवी वास्तविकता यह है कि कोर्पोरेशन के पास ६५५१ करोड की जंगी रकम बजट होने के बावजूद मलेरिया से लेकर डेंगू, चिकनगुनिया, बर्डफ्लू, कोंगोफीवर और जिका वायरस के टेस्ट के लिए वायरोलोजिकल लेबोरेटरी की व्यवस्था नहीं है ।