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राजनीतिक फंडिग को साफ-सुथरा बनाना चाहती हैं सरकार

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड मेकनिजम पर सक्रियता से काम कर रही है, लेकिन पोलिटिकल फंडिंग को साफ करने के लिए अभी तक कोई भी दल सुझावों के साथ आगे नहीं आया हंैं । उन्होंने कहा पिछले ७० सालों से भारतीय लोकतंत्र को अद्दश्य धन से फंड दिया जा रहा हैं और चुने हुए जनप्रतिनिधि, सरकारे, राजनीतिक दल, संसद और यहां तक कि चुनाव आयोग भी इसे रोकने में नाकाम रहा हैं । पोलिटिकल फंडिंग की दिशा में बड़ा कदम उठाए हुए जेटली ने इस साल बजट भाषण में राजनीतिक दलों को कैश में चंदा देने की सीमा २००० रुपये तय करते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड पेश किया था । वित मंत्री ने कहा कि मैंने राजनीतिक दलों को जुबानी और संसद मंे लिखित में कहा कि मुझेे बेहतर सुझाव दें । अभी तक कोई भी आगे नहीं आया है, क्योंकि लोग मौजूदा सिस्टम में संतुष्ट हैं । उन्होंने कहा कि ७० सालों से पोलिटिकल सिस्टम में अद्दश्य धन को रोकने में नाकाम करने के बाद समाधान सुझाए गए उपाय में दोष ढूंढने में नहीं हैं । इसलिए मैंने पिछले बजट में एक समाधान सुझाया था और हम इस पर सक्रियता से काम कर रहे हैं । इलेक्टोरल बॉन्ड अधिकृत बैकों के जरिए बेचे जाएगे और राजनीतिक दलों के नोटिफाइड अकाउंट्‌स में जमा किए जा सकते हैं । बॉन्ड में दाता का नाम नहीं होगा और यदि पैसा बैकों के जरिए ही ट्रांसफर होगा तो यह सुनिश्चित होगा कि केवल टैक्स देने के बाद ही पैसा पोलिटिकल सिस्टम में आएगा । भविष्य में पारदर्शिता बढ़ने और साफ धन से फंडिंग की उम्मीद जाहिर करते हुए जेटली ने कहा कि मेरा सभी को खुला आमंत्रण हैं कि कृपया बेहतर सिस्टम के लिए सुझाव दें, जो साफ धन और पारदर्शिता सुनिश्चित करें । मैं केवल इस तरह की बातें सुन रहा हूं । यह साफ होना चाहिए पारदर्शिता होनी चाहिए ।

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