चीन की सरकार के थिंकटैंक से जुड़े एक विशेषज्ञ ने कहा है कि भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर चल रहा गतिरोध तब तक खिंच सकता है जब तक कि इस इलाके में कड़ी ठंड पड़नी शुरू नहीं हो जाती । कड़ी ठंड के बीच दोनों तरफ की सेनाओं के लिए इलाके में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा । उनका यह भी मानना है कि भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के चीन दौरे के वक्त इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बातचीत होने की संभावना नहीं है । चीनी सरकार के थिंकटैंक, इंस्टीटयूट ऑफ साउथ ऐंड साउथईस्ट एशियन ऐंड ओशन स्टडीज के डायरेक्टर हू शिशेंग ने बताया है कि, हमारा आधिकारिक स्टैंड यह है कि जबतक भारतीय सेना डोकलाम में पीछे नहीं हटती, तब तक कोई बात नहीं होगी । अगर इन हालात में बात होती है तो बॉर्डर विवाद से वाकिफ चीन के आम लोगों में असहज भावनाएं भड़क सकती हैं । हू ने कहा कि हालात इसलिए भी ज्यादा बिगड़ गए हैं क्योंकि अब कोई भी पक्ष पीछे हटकर खुद को अपने देश में हारा हुआ नहीं दिखाना चाहता । उन्होंने कहा, दोनों पक्षों के बीच बैठकर बात करने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि चीन की तरफ से बातचीत के लिए रखी गई शर्त एकदम साफ है । निजी तौर पर मुझे लगता है कि बॉर्डर के इलाके का यह विवाद तब तक चलेगा जब तक कि वहां का मौसम नहीं बदलता । असहनीय ठंड की मार झेलना दोनों पक्षों के लिए मुश्किल होगा और फिर दोनों सेनाएं पीछे हट सकती हैं । भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस महीने के आखिर में चीन के दौरे पर जाने वाले है । विश्लेषकों का कहना है कि चीन डोभाल को इशारों में यह बताने को कोशिश कर सकता है कि उनके लिए चीन को बातचीत के लिए तब तक मना पाना मुश्किल होगा, जब तक कि भारतीय सेना डोकलाम में पीछे नहीं हटती ।
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