रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय जांच में बहुचर्चित आदर्श हाउसिंग घोटाले में २ पूर्व आर्मी चीफ और सेना के कई दूसरे बड़े अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे हैं । १९९ पेज की जांच रिपोर्ट में सरकार से कहा गया है कि पूर्व आर्मी चीफ जनरल एनसी विज (२००२-२००५) और जनरल दीपक कपूर (२००७-२०१०), ३ पूर्व लेफ्टिनेंट जनरलों और ४ मेजर जनरलों के अलावा कई दर्जन दूसरे सैन्य अफसरों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए । रिपोर्ट में जिन अफसरों के नाम हैं उनमें से ज्यादातर को आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी (एसीएचएस) में फ्लैट का आवंटन हुआ था । जांच रिपोर्ट में जिन ३ पूर्व लेफ्टिनेंट जनरलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है वे हैं जीएस सिहोटा, तेजिंदर सिंह और शांतनु चौधरी । जिन मेजर जनरलों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है, वे हैं -एआर कुमार, वीएस यादव, टीके कौल और आरके हूडा । इन सभी नामों का २०११ में रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई आंतरिक सैन्य जांच में भी जिक्र था, जिसके बारे में तब हमारे अखबार ने रिपोर्ट दी थी । सीबीआई ने जुलाई २०१२ में ६ अफसरों (मेजर जनरल एआर. कुमार और टीके. कौल, ब्रिगेडियर टीके सिन्हा और एमएम. वान्चु, कर्नल आर.के. बख्शी और पूर्वी डीईओ अफसर आरसी. ठाकुर) के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी । इन अफसरों के अलावा दूसरे अफसरों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है । आदर्श घोटाला २०१० में सामने आया था । शहीदों की पत्नियों, बच्चों और पूर्व सैनिकों के नाम पर बनने वाले इस हाउसिंग सोसायटी में शीर्ष सैन्य अफसरों ने नेताओं और नौकरशाहों के साथ मिलीभगत के जरिए मनमाने तरीके से फ्लैट आवंटन कराया । इसके लिए सभी तरह के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई । मुंबई हाईकोर्ट के आदेश के बाद रक्षा मंत्रालय ने इस मामले की नए सिरे से उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया । जांच रिपोर्ट में सरकार से दोषी अफसरों के खिलाफ उचित कार्रवाई की सिफारिश की गई है । हालांकि सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ अब आर्मी ऐक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती क्योंकि उन्हें रिटायर हुए ३ साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है ।
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