सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगों के दौरान राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआइटी और गुजरात हाईकोर्ट द्वारा दी गई क्लीन चीट के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को टाल दिया है। मामले की अगली सुनवाई 14 अप्रैल को होगी। सु्प्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि मामले की सुनवाई को कई बार स्थगित किया गया है, ऐसा कबतक होगा। इसपर किसी दिन तो सुनवाई करनी ही होगी। दंगा में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी ने 2018 में गुजरात हाईकोर्ट और एसआईटी के द्वारा मोदी को दी गई क्लीन चीट को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था।
इससे पहले बीते दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गुजरात की गुलबर्ग सोसायटी पर हुए हमले सहित गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में कथित निष्क्रियता के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और विशेष जांच दल (एसआईटी) को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ जकिया एहसान जाफरी की याचिका पर सुनवाई जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था। कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा मोदी और एसआईटी के अन्य सदस्यों को क्लीन चिट बरकरार रखने के फैसले को चुनौती दी थी। जस्टिस ए एम खानविलकर और दिनेश महेश्वरी की पीठ ने मामले को अप्रैल तक सुनवाई टाल दिया, जब जाकिया के वकील ने स्थगन की मांग की और अदालत से होली की छुट्टी के बाद इसपर सुनवाई करने का आग्रह किया। इसी के बाद कोर्ट ने यह टिपण्णी की।
जाकिया ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। इसमें गुजरात हाई कोर्ट के 5 अक्टूबर, 2017 के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने विशेष जांच दल के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। उनके वकील ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि याचिका में एक नोटिस जारी करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह 27 फरवरी, 2002 से मई 2002 तक एक कथित ‘बड़ी साजिश’ से संबंधित है.गौरतलब हो कि 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के चमनपुरा इलाके में मौजूद गुलबर्ग सोसाइटी को दंगाईयों ने निशाना बनाया था और सोसायटी में रहने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 लोगों को जिंदा जलाकर मौत के घाट उतार दिया था।
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