शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद मंगलवार को मुंबई के ट्राइडेंट होटल में शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस और कुछ छोटे दलों की संयुक्त बैठक में महा विकास अघाड़ी का औपचारिक तौर पर गठन हुआ। बैठक में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अशोक चव्हाण समेत शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के तमाम बड़े नेता और नवनिर्वाचित विधायक शामिल हुए। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी भी बैठक में मौजूद रहें। उनके अलावा, स्वाभिमानी पक्ष के नेता राजू शेट्टी भी बैठक में शामिल हुए। खास बात यह रही कि डेप्युटी सीएम पद से इस्तीफा देने वाले अजित पवार बैठक में शामिल नहीं हुए।
उद्धव ठाकरे के साथ कांग्रेस और एनसीपी से एक-एक नेता उपमुख्यमंत्री पद का भी शपथ ले सकते हैं। एनसीपी की तरफ से जयंत पाटिल और कांग्रेस की तरफ से बालासाहेब थोराट उपमुख्यमंत्री बन सकते हैं। महाविकास अघाड़ी के नेता और मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे के नाम के प्रस्ताव के पास होने के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि राज्य में बदलाव की जरूरत थी। बालासाहेब ठाकरे का जिक्र करते हुए शरद पवार ने कहा कि वह काफी हाजिरजवाब थे। अगर आज वह होते तो बहुत ज्यादा खुश होते। पवार ने कहा, ‘महाविकास अघाड़ी के तीन प्रतिनिधि आज राज्यपाल से मिलेंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
शपथग्रहण 1 दिसंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में आयोजित किया जाएगा। उद्धव ठाकरे को नवगठित महा विकास अघाड़ी का नेता चुना गया। थोड़ी देर में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के 3 नेता राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर सरकार बनाने का औपचारिक दावा पेश करेंगे। उद्धव ठाकरे फिलहाल विधायक नहीं हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद 6 महीनों के भीतर ही उन्हें विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी होगा। उद्धव ठाकरे 1 दिसंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में एक भव्य समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद का शपथ लेंगे। पहली बार ठाकरे परिवार से कोई मुख्यमंत्री बनेगा।
अबतक ठाकरे परिवार खुद को चुनाव से दूर रखता आया था लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में परिवार ने जब इस परंपरा को तोड़कर आदित्य ठाकरे को चुनाव मैदान में उतारा था। यह संकेत था कि अब शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए सारा जोर लगाएगी। 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होने के बाद से ही शिवसेना ने बीजेपी पर आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने का दबाव डालना शुरू कर दिया। हालांकि, बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद बदली परिस्थितियों में खुद उद्धव को सीएम पद के लिए तैयार होना पड़ा।