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शिवसेना की भाजपा को ललकार : हिम्मत है तो आओ सामने

महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा और शिवसेना के बीच हमले हो रहे है तब शिवसेना ने सामना अखबार के जारी फिर एक बार हमला बोलकर भाजपा को ललकारा है की, महाराष्ट्र के कोने-कोने में सिर्फ एक ही गर्जना होगी, ‘शिवसेना जिंदाबाद!’ हिम्मत है तो आओ सामने। हम तैयार हैं…!!
आइए देखे क्या लिखा है सामना में शिवसेना ने…..
हमें एनडीए से निकालनेवाले तुम कौन?
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में से शिवसेना के नहीं होने की घोषणा की गई। दिल्ली के भाजपा नेताओं ने किस आधार पर और किसकी अनुमति से यह घोषणा की? ‘यात्रा में जल्दबाजी दुर्घटना को निमंत्रण देती है’ इस प्रकार की जल्दबाजी इन लोगों के लिए ठीक नहीं है। हालांकि ये हो ही चुका है। दिल्ली के मोदी मंत्रिमंडल में से किसी एक प्रह्लाद जोशी ने यह घोषणा की है कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस से शिवसेना के संबंध जुड़ने के कारण उन्हें ‘एनडीए’ से बाहर निकाल दिया गया है और उनके सांसदों को संसद में विरोधी पक्ष में बैठाया गया है। जिस टेढ़े मुंहवाले ने ये घोषणा की है उसे शिवसेना का मर्म और ‘एनडीए’ का कर्म-धर्म नहीं पता। तुम सबके जन्म पर शिवसेना ने नाश्ता किया है। ‘एनडीए’ के जन्म और प्रसव पीड़ा को शिवसेना ने अनुभव किया है। भारतीय जनता पार्टी के बगल में भी कोई खड़ा नहीं होना चाहता था और हिंदुत्व व राष्ट्रवाद जैसे शब्दों को देश की राजनीति में कोई पूछता भी नहीं था तब और उसके पहले भी जनसंघ के दीये में शिवसेना ने तेल डाला है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से शिवसेना को बाहर निकालने की बात करनेवालों को एक बार इतिहास समझ लेना चाहिए। बालासाहेब ठाकरे, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज और पंजाब के बादल जैसे दिग्गजों ने जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नींव रखी उस समय आज के ‘दिल्लीश्वर’ गुदड़ी में भी नहीं रहे होंगे। कइयों का तो जन्म भी नहीं हुआ होगा। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठकें होती थीं और महत्वपूर्ण निर्णय पर चर्चा की जाती थी। श्री जॉर्ज फर्नांडीज ‘एनडीए’ के निमंत्रक थे और आडवाणी प्रमुख थे। आज ‘एनडीए’ का प्रमुख या निमंत्रक कौन है इसका उत्तर मिलेगा क्या? शिवसेना को बाहर निकालने का निर्णय किस बैठक में और किस आधार पर लिया गया। ये सारा मामला इतनी हद तक क्यों गया? इस पर ‘एनडीए’ के सहयोगी दलों की बैठक बुलाकर चर्चा के बाद निर्णय हुआ है क्या? कोई एक टेढ़े मुंहवाला उठता है और शिवसेना के ‘एनडीए’ से बाहर निकालने की घोषणा करता है। ठीक ही हुआ, इस कृत्य से तुम्हारे विचारों की खुजली आज बाहर आ गई। पिछले कुछ दिनों से झूठ-मूठ की खुजली शुरू थी। उसके पीछे की असली बीमारी अब बाहर आई। इन खुजलीबाजों को शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के सातवें स्मृतिदिन का मुहूर्त मिला। सारा देश जब बालासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा था उसी समय जिसने ‘एनडीए’ की स्थापना की, उसे ही बाहर निकालने की नीच घोषणा इन लोगों ने की। कोई चर्चा नहीं और कोई चिट्ठी-पत्र नहीं। जिस ‘एनडीए’ के अस्तित्व को गत साढ़े सात सालों में धीरे-धीरे नष्ट कर दिया, कह रहे हैं कि उस ‘एनडीए’ से शिवसेना को बाहर निकाल दिया। ये अहंकारी और मनमानी राजनीति के अंत की शुरुआत है। इस शब्द का प्रयोग आज हम जान-बूझकर कर रहे हैं। छत्रपति शिवराय के महाराष्ट्र से लिया गया पंगा तुम्हारा तंबू उखाड़े बिना नहीं रहेगा। इस निमित्त से पंगा लेनेवालों को हम ये वचन दे रहे हैं। महाराष्ट्र उठता नहीं और उठ गया तो चुप नहीं बैठता। पैसा और सत्ता का दर्प शिवराय की माटी में नहीं चलता इसका अनुभव विधानसभा चुनाव में मिल ही गया है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार हिंदुस्थान में मुगल सत्ता के संस्थापक कहे जानेवाले मोहम्मद गोरी और उस समय के पराक्रमी हिंदू राजा पृथ्वीराज चौहान के बीच लगभग १८ छोटे-बड़े युद्ध हुए थे। उसमें से १७ युद्धों में गोरी हार गया था। हर बार पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को जीवनदान देकर छोड़ दिया। भविष्य में यही गलती उन्हें भारी पड़ी। आखिरी लड़ाई में बड़ी तैयारी करके आए मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया। बार-बार जीवनदान को भूलकर गोरी ने कृतघ्नता की। पृथ्वीराज चौहान को गिरफ्तार कर उन्हें प्रताड़नाएं दीं। महाराष्ट्र में भी ऐसे विश्वासघाती और कृतघ्न प्रवृत्ति को हमने कई बार जीवनदान दिया। आज यही प्रवृत्ति शिवसेना की पीठ पर वार करने का प्रयास कर रही है। हालांकि शिवराय के महाराष्ट्र की पीठ में खंजर घोंपनेवालों को आसानी से छोड़ा नहीं जाएगा। भारतीय जनता पार्टी का हो-हल्ला है कि शिवसेना ने कांग्रेस से हाथ मिलाया है। हम पूछते हैं कि अगर ऐसा होता दिख रहा है तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक बुलाकर शिवसेना पर आरोप पत्र क्यों नहीं ठोंका। इससे चोर कौन और ढोंगी कौन ये साफ हो जाता। लेकिन शिवसेना की प्रखरता के समक्ष तुम्हारा ढोंग नहीं टिका! कश्मीर में राष्ट्रद्रोही और पाकिस्तानियों के गीत गानेवाली महबूबा मुफ्ती के साथ सत्ता के लिए निकाह करनेवाली भाजपा ने ‘एनडीए’ की अनुमति ली थी क्या? पाकिस्तान समर्थकों को ‘एनडीए’ की बैठक में सम्मान देकर कुर्सी देते समय अनुमति ली थी क्या? नरेंद्र मोदी का विरोध करनेवाले और मोदी पर कठोर टिप्पणी करनेवाले नीतीश कुमार की कमर पर फिर से ‘एनडीए’ की लंगोट पहनाते समय तुमने हमसे अनुमति ली थी क्या? लेकिन सारे लोगों के विरोध में जाने के दौरान ‘मोदी’ का बचाव करनेवाले शिवसेनाप्रमुख के संगठन को ‘एनडीए’ से बाहर निकालने का मुहूर्त मिला वो भी शिवसेनाप्रमुख की पुण्यतिथि का। खुद को हरिश्चंद्र का अवतार माननेवालों ने हरिश्चंद्र जैसा बर्ताव नहीं किया। महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी राजा का है। मंबाजी का वो साथ नहीं देगा। मंबाजी के राजनीति की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के कोने-कोने में सिर्फ एक ही गर्जना होगी, ‘शिवसेना जिंदाबाद!’ हिम्मत है तो आओ सामने। हम तैयार हैं!

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