महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत जरूर हासिल हो गई है लेकिन उसके सामने अब न सिर्फ मजबूती से उभरा विपक्ष चुनौती बन गया है बल्कि जिस शिवसेना के साथ गठबंधन कर वह सरकार बनाने जा रही है, वही उसे सत्ता की धौंस से बचने की सलाह दे रही है । गौरतलब है कि शिवसेना बीजेपी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी उस पर हमलावर रही है और चुनाव में जीत के बावजूद उसके तेवर नरम पड़ते नहीं दिख रहे हैं । पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में चुनाव के नतीजों को महाजनादेश मानने से साफ इनकार कर दिया है । बता दें कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव से पहले महाजनादेश यात्रा की थी । सामना के संपादकीय में कहा गया है, अति नहीं, उन्माद नहीं वरना समाप्त हो जाओगे, ऐसा जनादेश ईवीएम की मशीन से बाहर आया । संपादकीय में कहा गया है कि गठबंधन को जीत तो मिली है लेकिन सीटें कम हुई हैं । वहीं, कांग्रेस-एनसीपी मिलकर १०० सीटों तक पहुंच गईं ।
एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है । बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे सत्ताधीशों के लिए सबक बताया गया है । यहां तक कहा गया है कि धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जनता ने मतदान किया है ।’ बीजेपी को मिली १०२ सीटों, शिवसेना की ६३ सीटों और बाकी दलों को मिली सीटों को देखते हुए सीख दी है कि अति उत्साह में मत आओ, सत्ता की धौंस दिखाओगे । यही नहीं कांग्रेस और एनसीपी की तारीफ भी इस संपादकीय में की गई है । सामना में लिखा है- ‘कांग्रेस के पास कोई नेतृत्व नहीं था । इस कमजोर कांग्रेस को राज्य में ४४-४५ सीटें मिल गईं । शिवसेना ने राष्ट्रवाद को लेकर बीजेपी पर तंज कसा है और एनसीपी की भी तारीफ करते हुए कहा है भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रवादी में ऐसी सेंध लगाई कि पवार की पार्टी में कुछ बचेगा या नहीं, कुछ ऐसा माहौल बन गया था लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा छलांग राष्ट्रवादी ने लगाई है और ५० का आंकड़ा पार कर लिया है । सामना में सीधे सीएम पर हमला बोलते हुए कहा गया है- मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र में खुद को तेल लगाए हुए पहलवान के रूप में प्रस्तुत किया लेकिन बड़े मन से इसे स्वीकार करना होगा कि ‘तेल’ थोड़ा कम पड़ गया और माटी की कुश्तीवाले उस्ताद के रूप में शरद पवार ने गदा जीत ली है ।
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