राधनपुर और बायड सीट पर से करारी हार मिलने की वजह से अब गुजरात में कांग्रेस का विधायक पद छोड़कर भाजपा में शामिल हुए अल्पेश ठाकोर और धवलसिंह झाला की स्थिति नहीं घर के, न घाट के जैसी हो गई है । क्योंकि कांग्रेस के विधायक पद छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और भाजपा से उपचुनाव लड़े लेकिन दोनों की करारी हार हुई है । पार्टी छोड़कर और कुछ ज्यादा राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने यह दोनों युवा नेताओं को चुनाव में हरा दिया है । अल्पेश और धवलसिंह झाला की हार यह भाजपा के लिए घातक साबित हो सकती है । कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आये अल्पेश ठाकोर और धवलसिंह झाला को भाजपा में शामिल करने के खिलाफ भाजपा के स्थानीय सीनियरों से लेकर कई विधायकों ने पार्टी में आंतरिक रूप से विरोध व्यक्त किया था । फिर भी पार्टी का नेतृत्व ने यह सभी विरोध को नजरअंदाज करके अल्पेश ठाकोर और धवलसिंह झाला को भाजपा में शामिल तो कर लिया लेकिन इस उपचुनाव में राधनपुर और बायड सीट पर से टिकट भी दे दिया, जिसे लेकर भाजपा में आंतरिक विवाद चरम सीमा पर पहुंच गया । दूसरी तरफ, ठाकोर नेता के तौर पर उभरने वाले अल्पेश ठाकोर और धवलसिंह झाला दोनों ने अपने ठाकोर समाज के साथ भी गद्दारी की यह एक मामला सामने आया था । यह मामला मतदान के दौरान देखने को मिला और इसका परिणाम आज देखने को मिला है । अल्पेश ठाकोर और धवलसिंह झाला को अपने समाज ने घर भेज दिया है । राधनपुर विधानसभा की सीट कई वर्षों से भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीतिक पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है तब राधनपुर सीट पर से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये अल्पेश ठाकोर उपचुनाव लड़े थे लेकिन अल्पेश ठाकोर ने राजनीति में प्रवेश करने से पहले शराबबंदी और परप्रांतीयों मामले में किए गए निवेदन के असर इस चुनाव के परिणाम में देखने को मिला है । अल्पेश ठाकोर भाजपा सरकार के खिलाफ चुनाव लड़े जिसे लेकर ठाकोर समाज में भी भारी विरोध हुआ, तो धवलसिंह जो कि पहले कांग्रेस की टिकट पर बायड से विधायक बने थे उसी बायड सीट पर फिर से भाजपा के सिम्बोल पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए थे ।
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