गुजरात विद्यापीठ का मंगलवार को ६६वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया । जिसमें मुख्य रूप से विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी मौजूद रहे । उन्होंने विद्यार्थियों को दीक्षांत भाषण दिया जिसमें गांधीजी के जीवन मूल्य और आज भी प्रस्तुत होने का कहकर गांधीविचार को जन्मजात से अपनाकर सफलता को पार करने के लिए उन्होंने विद्यार्थियों को सीख दी गई । सामान्य रूप से विद्यापीठ का दीक्षांत १८ अक्टूबर को आयोजित किया जाता है लेकिन इस बार चार दिन लेट २२ अक्टूबर को आयोजित किया गया । आज के दीक्षांत समारोह में उपस्थित रहने वाले सभी को सफेद यूनिफॉर्म सफेद टोपी साथ में पहनकर आने की सूचना दी गई । जिसकी वजह से सभी लोगों ने खादी के सफेद वस्त्रों और गांधी टोपी पहनी । गुजरात विद्यापीठ के इस वार्षिक समारोह में डिग्री प्रदान की गई । जिसमें २७ विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री, २५ विद्यार्थियों को एमफिल, ३५५ विद्यार्थियों को एमए, और २०४ विद्यार्थियों को स्नातक की डिग्री प्रदान की गई । विद्यापीठ के प्राणजीवन विद्यार्थीभवन में सुबह में यह समारोह शुरू हुआ । सुबह में सर्वधर्म प्रार्थना बाद विद्यार्थीमंडल द्वारा समारोह के अध्यक्ष कुलपति और मुख्य मेहमान को खादी अर्पित करके स्वागत किया गया । इसके बाद दीक्षांत समारोह का प्रारंभ हुआ । दीक्षांत समारोह के अध्यक्ष कुलपति द्वारा विद्यार्थियों को डिग्री प्रमाणपत्र तथा पारितोषिक अर्पित किया गया । मुख्य मेहमान विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने दीक्षांत भाषण देते हुए गांधीजी के विचारों की बातें की । उन्होंने बताया कि, जीवन में सत्य बोलना, सत्य बोलने वाले की जीत हमेशा होती है । हां कुछ देर लगता है लेकिन अंत में जो सत्य हो उसकी जीत होती है । उन्होंने इसके बाद निष्ठा और प्रमाणिकता के गुण को जीवन का गुरु बताया । प्रमाणिकता का गुण उनको दुनिया की पंक्ति में से सबसे अलग रखता है । हालांकि गांधीजी की संस्था यानी कि विद्यापीठ में तो जन्मजात से ही गांधीविचार मिलता है यानी कि उन्होंने आगे कहा कि, कैसा भी संघर्ष आये आप अपने नीति मूल्यों को नहीं छोड़ना ।
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