सुप्रीम कोर्ट ने देश में सीवर नालों की हाथ से सफाई के दौरान लोगों की मौत होने पर बुधवार को गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया में कहीं भी लोगों को मरने के लिए गैस चैंबर में नहीं भेजा जाता है । कोर्ट ने इसे असभ्य और अमानवीय स्थिति बताया । सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी एजेंसियों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आजादी के ७० साल बीत जाने के बाद भी जातिगत भेदभाव अभी भी समाज में जारी है । मैनहोल, नालियों, सीवर की सफाई करने वाले लोग मास्क, ऑक्सिजन सिलिंडर नहीं पहनने के कारण मर रहे हैं ।
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता और जस्टिस एम. आर. शाह व जस्टिस बी. आर. गवई की सदस्यता वाली बेंच ने यह टिप्पणी केंद्र की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की । दरअल केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से २०१८ के अपने एक फैसले को वापस लेने की मांग की है, जिसमें एससी/एसटी अधिनियम के तहत दायर एक शिकायत पर तत्काल गिरफ्तारी के कठोर प्रावधानों और आरोपियों के लिए कोई अग्रिम जमानत नहीं दी थी । बेंच ने केंद्र की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है ।