‘एक देश, एक भाषा’ के अपने बयान पर सियासी बवाल मचने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ किया है कि उन्होंने कभी भी दूसरे क्षेत्रीय भाषाओं पर हिंदी भाषा थोपने की बात नहीं की थी । बता दें कि गृह मंत्री ने हिंदी दिवस के अवसर पर एक देश, एक भाषा की वकालत की थी । उनके इस बयान के बाद कई विपक्षी दलों के नेता विरोध में उतर आए थे । शाह ने कहा कि उनके बयान पर केवल राजनीति की जा रही है । शाह ने आज कहा, मैंने कभी किसी क्षेत्रीय भाषा पर हिंदी थोपने की बात नहीं की थी । मैंने एक मातृभाषा सीखने के बाद दूसरी भाषा के तौर पर हिंदी सीखने का आग्रह किया था । मैं खुद एक गैर हिंदी भाषी राज्य गुजरात से आता हूं ।
अगर कोई व्यक्ति इसपर राजनीति करना चाहता है तो वह उसकी इच्छा है । गृह मंत्री के इस बयान के बाद इसपर सियासी घमासान मच गया था । न्ढ्ढरूढ्ढरू चीफ असदुद्दीन ओवैसी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, डीएमके चीफ स्टालिन समेत कई नेताओं को यह बनया रास नहीं आया और उन्होंने इसका विरोध किया । यहां तक कि बीजेपी शासित कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी इसका विरोध किया था ।
अमित शाह ने अपने हिंदी दिवस के भाषण में कहा था कि अनेक भाषाएं, अनेक बोलियां कई लोगों को देश के लिए बोझ लगती हैं । मुझे लगता है यह हमारी देश की सबसे बड़ी ताकत हैं । परंतु जरूरत है देश की एक भाषा हो, जिसके कारण विदेशी भाषाओं को जगह न मिले । इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमारे पुरखों और स्वतंत्रता सेनानियों ने राजभाषा की कल्पना की थी और राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था ।