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चांद की सतह पर लैंडर विक्रम के लोकेशन की जानकारी मिली : सिवन

चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की सटीक लोकेशन का पता लगा लिया गया है । ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की एक थर्मल इमेज भी क्लिक की है । यह बात खुद इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कही है । इसरो प्रमुख ने कहा कि हालांकि लैंडर विक्रम से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है । उन्होंने कहा, टीम लैंडर विक्रम से कम्युनिकेशन स्थापित करने की लगातार कोशिश कर रही है । इसरो प्रमुख ने यह भी कहा कि इमेज से यह साफ नहीं हो सका है कि विक्रम चांद की सतह पर किस हालत में है । इसरो की स्नन्ष्ट टीम यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर किन वजहों से लैंडर का संपर्क इसरो कमांड से टूट गया था । बता दें कि इसरो के वैज्ञानिकों ने इससे पहले कहा था कि अगले ३ दिनों में विक्रम कहां और कैसे है, इसका पता चल सकता है । सीनियर साइंटिस्ट ने बताया था, ३ दिनों में लैंडर विक्रम के मिलने की संभावना है । इसकी वजह यह है कि लैंडर से जिस जगह पर संपर्क टूटा था, उसी जगह पर ऑर्बिटर को पहुंचने में ३ दिन लगेंगे । हमें लैंडिंग साइट की जानकारी है ।
आखिरी क्षणों में विक्रम अपने रास्ते से भटक गया था, इसलिए हमें ऑर्बिटर के ३ उपकरणों स्न्क्र (सिंथेटिक अपर्चर रेडार), ढ्ढक्र स्पेक्ट्रोमीटर और कैमरे की मदद से १० ग् १० किलोमीटर के इलाके को छानना होगा । विक्रम का पता लगाने के लिए हमें उस इलाके की हाई रेजॉलूशन तस्वीरें लेनी होंगी ।
इसके अलावा इसरो चीफ के. सिवन ने भी बातचीत में कहा था कि लैंडर विक्रम के मिलने की अब भी संभावना है । उन्होंने कहा, ऑर्बिटर की उम्र साढ़े ७ सालों से ज्यादा है, न कि १ साल, जैसा कि पहले बताया गया था । इसकी वजह है कि उसके पास बहुत ज्यादा ईंधन बचा हुआ है । ऑर्बिटर पर लगे उपकरणों के जरिए लैंडर विक्रम के मिलने की संभावना है । गौरतलब है कि भारत के चंद्रयान-२ मिशन को शनिवार तड़के उस समय झटका लगा, जब चंद्रमा के सतह से महज २ किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया । ढ्ढस्क्रह्र ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि विक्रम लैंडर उतर रहा था और लक्ष्य से २.१ किलोमीटर पहले तक उसका काम सामान्य था । उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया । चंद्रमा की सतह पर पूर्वनिर्धारित तरीके से उतरने से पहले चंद्रयान- २ के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान का इसरो से संपर्क टूटने के बाद सबकुछ खत्म नहीं हो गया है । १ सितंबर को उनसे अलग हुआ ऑर्बिटर लगातार चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है और वहां पानी और खनिज पदार्थ होने की संभावना को लेकर तमाम मूल्यवान जानकारियां जुटा रहा है । बड़ी बात यह है कि आठ पेलोड्‌स से सुसज्जित ऑर्बिटर की उम्र सात साल से ज्यादा है ।

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