भारत में ट्रैफिक पुलिस की संख्या ७२००० के करीब है । जबकि साल २०१७ में पब्लिश ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च ऐंड डिवेलपटमेंट रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब २० करोड़ गाड़ियां रजिस्टर्ड हैं । सूत्रों के मुताबिक पिछड़े डेढ़ सालों में ट्रैफिक पुलिस की संख्या में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है । पश्चिम बंगाल में अधिकतम ८,५०० ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौजूद हैं जबकि कर्नाटक में ६००० कर्मी हैं । देश की राजधानी की सड़कों को मैनेज करने के लिए ६,६०० ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौजूद हैं । अधिकारियों ने यह भी माना कि ट्रैफिक पुलिस की तैनाती मुख्य रूप से बड़े शहरों और राज्यों की राजधानियों में दिखाई देती है जबकि छोटे शहरों में उन्हें देखना काफी मुश्किल है । तेलंगाना के डीजीपी (सड़क सुरक्षा) टी कृष्णा प्रसाद ने कहा, ट्रैफिक पुलिस की भारी कमी की वजह से यह जरूरी हो गया है कि ट्रैफिक अपराधों की निगरानी के लिए आईटी और कैमरे का इस्तेमाल किया जाए । कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन के रोड सेफ्टी सेल के प्रमुख रमा शंकर पांडेय ने बताया, यह दर्शाता है कि मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने का मुद्रा केवल शहरी क्षेत्रों और बड़े शहरों तक ही सीमित है, जबकि ५५ फीसदी से अधिक दुर्घटनाएं और मौतें गांवों से गुजरने वाली सड़कों पर होती हैं और इनमें राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल है । साल २०१५ में बीपीआरडी ने राज्यों और शहरों में वाहनों की संख्या के आधार पर पुलिसकर्मियों की तैनाती और उपकरण मुहैया कराने का सुझाव दिया था, इसके बावजूद भी ट्रैफिक पुलिस की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई । उदाहरण के लिए यह सुझाव दिया गया कि दिल्ली में ८५ लाख वाहनों और ट्रैफिक प्रबंधन के लिए १५,३४५ ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की जरूरत है । लेकिन राजधानी में ट्रैफिक पुलिस की संख्या महज ६ हजार ही है ।