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पहले जीडीपी के आंकडे लगते थे सुहाने, अब लगने लगे बेगाने…

केन्द्र मे कांग्रस की सरकार के वक्त प्रतिपक्ष भाजपा द्वारा अर्थतंत्र के लिए मायने रखने वाले जीडीपी के आंकड़ो का सहारा लेकर हमले किए जाते थे। लेकिन अब जब भाजपा की केंद्र सरकार में आर्थिक मोर्चे पर देश में सुस्ती है मंदी है और दुसरे त्रिमाही दौरान जीडीपी 5 प्रतिशत से घटकर 4.5 प्रतिशत हो गया है। जिसे लेकर मोदी सरकार पर चारो और से कांग्रस तथा अन्य डालो द्वारा हमले हो रहे है तब भाजपा के एक संसद ने सदन में बेतुका बयान दिया की, जीडीपी के आंकडे कोई रामायण या बाइबल नहीं है।
संसद के शीतकालीन सत्र का आज 11वां दिन है। संसद में हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी निर्मम हत्या कर की गूंज के साथ-साथ कई मुद्दे उठे। संसद में पीएम मोदी और अमित शाह को घुसपैठिया बताने के कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के बयान का मुद्दा भी उठा। इसके बाद गिरती जीडीपी का मुद्दा भी उठा।
जीडीपी के मुद्दे पर लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि जीडीपी 1934 में आई इससे पहले कोई जीडीपी नहीं थी… केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सत्य नहीं है और भविष्य में जीडीपी का बहुत ज्यादा उपयोग नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आज नई थ्योरी है आम आदमी का स्थायी आर्थिक कल्याण, हो रहा है या फिर नहीं हो रहा है। जीडीपी से ज्यादा महत्वपूर्ण है लोगों का सतत विकास। लोगों को खुशी मिल रही है या नहीं मिल रही है।

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