जिम्बाब्वे के पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे के निधन के बाद देश में राष्ट्रीय शोक मनाया जा रहा है। करीब 37 वर्ष तक जिम्बाब्वे पर राज करने वाले मुगाबे (95) ने सिंगापुर में शुक्रवार को आखिरी सांस ली, जहां वह अस्पताल में अप्रैल से भर्ती थे। कार्यालय छोड़ने के बाद से ही वह बीमार चल रहे थे। जिम्बाब्वे में मुगाबे को लेकर लोगों की सोच काफी अलग-अलग है।
राष्ट्रपति एमर्सन नंगाग्वा ने जहां उन्हें राष्ट्रीय नायक बताते हुए कहा कि उनका अंतिम संस्कार किए जाने तक जिम्बाब्वे में शोक रहेगा। नंगाग्वा ने कहा कि नेता को उनके साहसिक और ऐतिहासिक सुधारों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वहीं मुगाबे के शासन का एक सत्य यह भी है कि उनके बढ़ते निरंकुश नेतृत्व और आर्थिक कुप्रबंधन ने लाखों लोगों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया था। जिम्बाब्वे में कुछ लोग जहां उन्हें एक सच्चा अफ्रीकी बताते हैं वहीं कुछ के लिए वह केवल बुराई, विनाश और दुख का एक जरिया रहे। जिम्बाब्वे के एक पूर्व सैन्यकर्मी बास्टर मैगविजी ने कहा, मुगाबे एक पढ़े लिखे इंसान थे, लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा का इस्तेमाल बुराई के लिए किया।
एक बार मुगाबे ने कहा था कि वह 100 साल की उम्र का होने तक अपने देश पर शासन करेंगे और कई को उम्मीद थी कि पद पर रहते हुए ही उनका निधन होगा। लेकिन सेहत खराब होने के साथ ही सेना ने 2017 के अंत में अंतत: हस्तक्षेप किया ताकि वह उनकी पत्नी ग्रेस के राष्ट्रपति बनने के ख्वाब पर विराम लगा सके और वे अपना कोई उम्मीदवार खड़ा कर सकें। मुगाबे के बाद उनके परिवार में उनके दो बेटे और दूसरी पत्नी ग्रेस से हुई एक बेटी है।