केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि देश में आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि दर ‘बहुत ही दयनीय’ है । उन्होंने कहा कि वषोर्ं पुरानी तकनीकों जैसे संदिग्ध को थर्ड डिग्री देने और फोन टैपिंग से अपराधों पर नकेल या अपराधियों को दोषी साबित कराने में वांछित नतीजे नहीं मिलेंगे । शाह ने यहां पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के ४९वेंस्थापना दिवस कार्यक्रम में पुलिस संगठनों के आला अधिकारियों को संबोधित करते हुए यह बात कही । उन्होंने कहा कि अपराधियों के गुनाह को साबित करने के लिए जांचकर्ताओं के लिए फोरेंसिक सबूतों का इस्तेमाल समय की मांग है ।
उन्होंने कहा कि उन्होंने बीपीआरडी से राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरों पर मॉडस आपरेंडी ब्यूरो बनाने की योजना तैयार करने का निर्देश दिया है और यह कि सरकार उन सभी आपराधिक मामलों में फोरेंसिक सबूत को अनिवार्य बनाने पर विचार कर रही है जिनमें सात या उससे अधिक साल की कैद की सजा का प्रावधान है । गृहमंत्री ने कहा, दोषसिद्धि की स्थिति वाकई बहुत दयनीय है । मौजूदा समय में यह नहीं चल सकता । उसमें सुधार की जरूरत है और सुधार तभी हो सकता है जब जांच में अपराध विज्ञान साक्ष्य की मदद ली जाए । उन्होंने कहा, यदि आरोपपत्र के समर्थन में अपराध विज्ञान साक्ष्य होते हैं तब न्यायाधीश और बचाव पक्ष के वकील के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं । ऐसे में अपने आप ही दोषसिद्धि की दर सुधरेगी । पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो गृहमंत्रालय के अतर्गत आता है जिस पर पुलिस बलों के लिए बेहतर कामकाज की नीतियां तैयार करने एवं प्रौद्योगिकीय हल सुझाने की जिम्मेदारी है । वह नीतियों के निर्माण में राष्ट्रीय थिंक टैंक का काम करता है ।
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