लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पास हो गया है। अब इसकी असल चुनौती राज्यसभा में है। जहां भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत नहीं है। जी हां मोदी सरकार की ओर से लाए जा रहे तीन तलाक बिल पर विपक्ष ही नहीं सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड यानि नीतिश की पार्टी को भी आपत्ति है। ऐसे में लोकसभा में भले ही सरकार आसानी से इस बिल को पारित करा ले जाए, मगर राज्यसभा में मामला फंस सकता है।
तीन तलाक पर भाजपा के विरोधी दलों की संख्या राज्यसभा में 111 है। ऐसे में जदयू के छह राज्यसभा सांसद भी अगर बिल के खिलाफ हुए तो आंकड़ा 118 पहुंच जाएगा। जबकि राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 है। चूंकि अभी राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत के आंकड़े से आधे दर्जन सदस्य कम हैं। ऐसे में अगर विपक्ष ने कुछ और सांसदों को अपने पाले में किया तो फिर आरटीआई बिल पास कराने के दौरान पक्ष-विपक्ष में कांटे की लड़ाई हो सकती है।
इससे पहले लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, देश के संविधान के लिए सभी बेटियां एक समान हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा, 3 तलाक का कानून कई देशों में बैन है। तीन तलाक के विरोध में जेडीयू ने कहा कि नहीं हुई कोई चर्चा। जबकि विपक्ष ने विरोध में बिल को वापस सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की। उधर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि ट्रंप मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ट्रिपल तलाक को पेश किया गया।