गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि आतंकवादियों पर कठोर कार्रवाई से नहीं, बल्कि उनसे बातचीत कर आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है, इस विचार से वह कतई सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि किसी के पास बंदूक होती है, इसलिए वह आतंकवादी नहीं बन जाता है बल्कि वह इसलिए आतंकवादी बनता है क्योंकि उसके दिमाग में आतंकवादी सोच रहती है।
गृहमंत्री ने कड़े शब्दों में एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि देश में सामाजिक कार्यर्ताओं की बड़ी आबादी सम्मानित जीवन जी रही है, लेकिन जो लोग वैचारिक आंदोलन का चोला पहनकर अर्बन नक्सलिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं, उन पर कठोर कार्रवाई होगी। हमारी सरकार की उनके प्रति बिल्कुल भी सहानुभूति नहीं है। शाह ने कहा, ‘वैचारिक आंदोलन का चोला पहनकर वामपंथी उग्रवाद को हवा देने वालों को हमारी सरकार तनिक भी बर्दाश्त नहीं करेगी।’
हम बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने एनआईए संशोधन विधेयक पर लोकसभा में हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि आतंकवाद पर करारा प्रहार करने के लिए कड़े और बेहद कड़े कानून की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस एनआईए ऐक्ट में संशोधन का विरोध कर रही है जबकि उसी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने यह कानून लाया था।
एनआईए अधिकारी को ज्यादा अधिकार देने से इसके दुरुपयोग की आशंका के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा कि दुरुपयोग की कोई बात नहीं है क्योंकि एक व्यस्था काम करती है। यूपीए सरकार ने जिस अधिकारी को हमारे खिलाफ जांच के लिए चयनित किया था, आज वही एनआई के प्रमुख हैं।
उन्होंने कहा कि एनआईए ऐक्ट में आंतकी गतिविधि में लिप्त संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करने करने का प्रावधान तो है, लेकिन आंतकी वारदात को अंजाम देने वाले या इसकी साजिश रचने वाले लोगों को आतंकवादी घोषित किए जाने का अधिकार एनआईए के पास नहीं था। शाह ने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि एनआईए ने यासिन भटकल की संस्था इंडियन मुजाहिद्दीन को आतंकवादी संस्था घोषित किया था, लेकिन उन्हें आतंकवादी घोषित नहीं किया। इसका फायदा लेते हुए उसने 12 घटनाओं को अंजाम दिया।