अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियों के भारत दौरे के दौरान भारत रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली पर झुकने वाला नहीं है। जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भारत और रूस के बीच इस डील पर आपत्ति जता चुके हैं। इससे पहले अमेरिका ने तुर्की के S-400 खरीदने के बाद उसे लड़ाकू विमानों की बिक्री रोक दी थी। अमेरिका का कहना है कि वह भारत को अन्य नाटो सहयोगियों के समान रखकर समान डिफेंस टेक्नॉलजी दे सकता है। नाटो के सदस्य तुर्की ने अमेरिका के विरोध को दरकिनार कर S-400 डील पर आगे बढ़ने की सोमवार को घोषणा की थी।
माना जा रहा है कि पोम्पियो के साथ बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर इस मुद्दे पर भारत का रुख मजबूती से रखा है। इससे पहले पोम्पियों ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की। जयशंकर और पोम्पियो की बैठक में इस महीने के आखिर में जी 20 सम्मेलन में पीएम मोदी और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच होने वाली मुलाकात की भी रूपरेखा भी तय हो सकती है।
इधर विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के साथ बैठक के बाद साझा संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी गहन और व्यापक समन्वय पर आधारित है। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद पर मैंने ट्रंप प्रशासन के मजबूत समर्थन के लिए प्रशंसा व्यक्त की है। विदेश मंत्री ने कहा कि ऊर्जा, व्यापार मुद्दों, लोगों का लोगों से संपर्क, अफगानिस्तान, खाड़ी और भारत-प्रशांत क्षेत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका-भारत की साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंचने लगी है।
अमेरिका द्वारा भारत को दिए जाने वाले सामान्य तरजीही प्रणाली दर्जा समाप्त करने के बाद पोम्पियो का यह दौरा हो रहा है। अमेरिका के इस फैसले को भारत पर दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका ऐसा करके भारत से इंपोर्ट छूट हासिल करना चाहता है। हालांकि तनावों के बीच भारत और अमेरिका में कई समान विचार वाले मुद्दे पर चर्चा होने की उम्मीद है।
इस बीच यह भी कहा जा रहा है कि रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डील के अपने अधिकार पर अमेरिका को भारत दो टूक जवाब देगा। बता दें कि ट्रंप सरकार S-400 डील पर आपत्ति जता चुकी है। अमेरिका ने इसे लेकर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। उसने कहा है कि भारत को कुछ हाई-ऐंड टेक्नॉलजी की पेशकश नहीं की जाएगी और एफ-21 और एफ-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री भी रोकी जा सकती है।