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पहले समान सीवील कानून तो लाईये साहिबान, फिर वन नेशन-वन इलैकशन का राग आलापिये..!!

17 वीं लोकसभा चुनाव में भारी और प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भी भाजपा और सन्माननिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी द्वारा फिर एक बार वन नेशन वन इलैकशन का नारा दे कर राजनितिक दलों के साथे एक आधिकारिक बैठक भी आयोजित की और उस पर मंथन करने के लिये एक कमेटि की रचना भी की गई। वन नेशन वन इलैकशन मतलब लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करना। ताकि चुनाव का खर्चा बच सके और मतदाताओं को भी बार भार मतदान करना न पडे। विचार अच्छा है लेकिन उस पर अमल कब और कैसे होगा ये एक विचारणिय मुद्दा है। ये वही भाजपा है जिसने शरू से ही धारा 370 हटाने के साथ समान सीवील कोड का नारा ओर वादा किया है। इस वक्त जम्मु-कश्मिर के लिये अलग कानून है और भारत के कई कानून कश्मिर में लागू नही। कश्मिर का झंडा भी अलग है। ईसीलिये भाजपा ने एक देश एक कानून बनाने के लिये उस वक्त मांग की थी और भाजपा की हर कार्यकारिणि में यह प्रस्ताव भी पार्त होता रहा की समान सीवील कोड लागू किया जाय।
श्रध्धेय अटलजीने 6 साल राज किया और वर्तमान प्रधानमंत्रीजीने भी 2014 से 2019 तक राज किया तब देश में समान सीवील कोड लागू करने की कोइ हिलचाल नहीं की। 2019 के आम चुनाम में आम छील कर या काट कर खाने के सवाल के साथ साथ भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है। मोदीजीने कहा था की 300 सीटे मिलना पक्का है और 300 से ज्यादा सीटें मिली जो कि भाजपा के लिये अपने आप में एक रिकार्ड है। इतना प्रचंड बहुमत मिलने के बाद देश को ये उम्मीद ही न हीं लेकिन उम्मीद से ज्यादा उम्मीद है की अब तो समान सीवील कोड लागू होना पक्का…! लेकिन ये क्या…..एक देश- एक कानून के बदले एक देश- एक चुनाव के लिये काम शूरू हो गया…? और उसके लिये कमेटि भी बन गई…? तो फिर समान सीवील कोड का क्या होंगा या समान सीवील कोड को भाजपा और सन्मानिय मोदीजी भूल गये….?
होता है ये की चुनाव के वक्त वादा कुछ और तथा जीतने के बाद करना कुछ और। जैसे की भाजपाने तीन तलाक पर जोर दिया। संसद में फिर से कानून लाया गया। लेकिन यदी समान सीवील कोड लागू किया होता तो तीन तलाक अपने आप निकल जाता। अलग से कानून लाने की भी जरूरत नही होती। लेकिन समान सीवील को भूला दिया गया या भूल गया सबकूछ….याद नही अबकुछ जैसा हो गया भाजपा के लिये…? साहिबान….एक देश एक चुनाव अभी दूर है और देश के सभी राज्यों में भाजपा का राज होंगा तभी ये संभव हो सकता है लेकिन कश्मिर के अलगाववादीयों को राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने के लिये समान सीवील कोड ही एक मात्र सटीक उपाय है। इसलिये उप पर गहन विचार की कोइ आवश्यक्ता ही नही। संसद में प्रचंड बहुमत है, राज्यसभा में भी अब कोइ दिक्कत नहीं है तब समान सीवील कोड के लिये तुरन्त कार्यवाई हो ये आजके समय की और भाजपा में जिन्होंने समान सीवrल कोड की आशा में बरसों बिताये और उनकी आंखे तरस गई उन के लिये और सारे देश को एक सूत्र में एक माला में पिरोने के लिये वन नेशन-वन इलैकश्न नहीं लेकिन एक देश एक कानून जल्द से जल्द हो। इसके लिये भाजपा अपने पुराने से भी पुराने प्रस्ताव पर नजर डाले तो पता चलेगा की कितने उत्साह के साथ राम मंदिर-धारा 370 और समान सीवील कोड के बारे में प्रस्ताव पर प्रस्ताव…प्रस्ताव पर प्रस्ताव पारित किये थे। तो कब बन रहा है समान सीवील कोड साहिबान…?!

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