पहली जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है । इस यात्रा के लिए अब तक जामनगर के ३०० से ज्यादा यात्रियों ने पंजिकरण कराया है । यहां से यात्रियों की पहली टुकड़ी २६ जून को अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना होगी । जम्मू-कश्मीर के करीब १३ हजार फीट ऊंचाई वाली पहाड़ पर प्रति वर्ष मानसून के दौरान स्वयंभू बर्फ के शिवलिंग के दर्शन के लिए देश के कोने कोने से यात्री दर्शन केलिए पहुंचते हैं । यह यात्रा करीब डेढ़ महीने तक चलेगी । जामनगर में पंजाब नैशनल बैंक की रणजीत रोड़ शाखा में इसके लिए पंजीकरण कराया जा रहा है । सामान्य रूप से जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल और साधु संतों की टुकड़ी सबसे पहले स्वयंभू शिवलिंग का दर्शन करती है । इसके बाद एक जुलाई से यात्रियों के लिए यह मार्ग खूल जाता है ।
इसके लिए दो मार्गो में यात्री वहां पहुंच सकते हैं । इसमें प्रथम मार्ग वाया श्रीनगर से होकर बालताल है । बालताल में बेस कैंप है । वहां से पैदल अथवा घोड़े की पालकी से गुफा तक पहुंचा जा सकता है । बालताल बेस से गुफा की दूरी १४ किलोमीटर है । वहां से सात किलोमीटर तक हेलिकोप्टर की भी सुविधा है । इस बेस कैंप में यात्रियों के लिए भगवान भोले के भक्तों की ओर से निःशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की जाती है । दूसरा मार्ग जम्मू वाया पहलगाम होते हुए गुफा तक का है । यह मार्ग सबसे दूर और कठिन है । पहलगाम से चंदनवाड़ी तक वाहन जाते हैं । चंदनवाड़ी से पैदल, घोडा अथवा डोली से गुफा तक जाया जा सकता है । चंदनवाडी से गुफा की दूरी ३६ किमी है । अमरनाथ की यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को किसी सरकारी अस्पताल के चिकित्सक से मेडिकल सर्टिफिकेट लेना आवश्यक है । इसके लिए वेबसाइट से दो पेजो का फार्म डाउन लोड कर उसे भरकर डाॆक्टर के समक्ष पेश करना होता है ।
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