गुजरात के पड़ोसी राज्यों में सरकार बदलते ही सरदार सरोवर नर्मदा बांध को लेकर विवाद शुरू हो गया है । मध्य प्रदेश ने बांध का जलस्तर १३८ मीटर तक ले जाने में टांग फंसा दी, वहीं बिजली के बंटवारे को लेकर भी आरोप लगा रहा है । गुजरात सहित दो राज्य भाजपा शासित महाराष्ट्र व कांग्रेस शासित राजस्थान बांध का जलस्तर १३८ मीटर ले जाने को तैयार हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश इस पर सहमत नहीं है तथा गुजरात पर कम बिजली देने का भी आरोप लगा रहा है । गुजरात सरकार बांध का जलस्तर पहली बार १३८ मीटर तक ले जाकर बिजली उत्पादन करना चाहती है । सरदार सरोवर नर्मदा निगम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन एसएस राठौड बताते हैं कि उच्च्तम न्यायालय व नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी से पहले ही स्वीक्रति मिल चुकी है । जुलाई के प्रथम सप्ताह में दिल्ली या इंदौर में नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी की बैठक होगी । गत वर्ष भी बांध को पूरी ऊंचाई तक भरे जाने की योजना बनी, लेकिन पानी नहीं आने से ऐसा नहीं हो सका । अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में है । बांध पर १२०० मेगावाट रिवर बेड व २५० मेगावाट क्षमता का कैनाल बेस पावर हाउस है । बांध में जलस्तर कम हो जाने से दो साल से रिवर बेड का बिजली उत्पादन ठप है । यहां से उत्पादित बिजली में से ५७ फीसद हिस्सा मध्य प्रदेश को, २७ प्रतिशत महाराष्ट्र को व १६ फीसद हिस्सा गुजरात को मिलता है । गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल के शुरुआती दो सप्ताह में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई १३८ मीटर तक ले जाने की मंजूरी मिल गई थी । यूपीए के शासनकाल में बांध की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर कदम कदम पर रोड़े आ रहे थे । सीएम रहते मोदी को ५० घंटे उपवास पर भी बैठना पड़ा था ।