बिहार में जापानी बुखार का कहर बरपा है। वैशाली जिल्ले और अन्य गांवो में इस बुखार की वजह से अबतक 100 से ज्यादा बच्चें अल्पसमय में मारे गये। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिशकुमार सुशानबाबु के नाम से जाने जाते है। उनका दावा है की उनके शासन में सब कुशलमंगल है। लेकिन वास्तविक्ता कुछ और ही है। बच्चों की मोत को लेकर अलग अलग कारण दिये जा रहे है। एक कारण ये दिया जा रहा है की इन बच्चों ने ज्यादा मात्रा में लीची नामक फल खाये उसकी वजह से दिमाग का बुखार आया और मर गये। लीची से बच्चें मर रहे है…इसका इतना प्रचार या कूप्रचार हुवा की लोगों ने खुद और बच्चों को लीची खिलाना बंद कर दिया। ओडिसा में तो लीची से लोग दूर हो रहे है। लीची मानो कोइ मीठा फल नहीं लेकिन जहर हो ऐसा प्रचार चलने से लीची फल उगानेवाले किसान परेशान हो गये है। उनकी लीची कोइ ले नहीं रहा। लीची का माल पडा रहा है। लेकिन क्या वास्तव में लीची की वजह से ही ऐसा हुवा है क्या…? डाक्टरों का और विशेषज्ञों का कहना है की लीची ही एक वजह नहीं है असल में ये बच्चे कूपोषण से भी पिडित है। मरनेवाले बच्चों को माता पिता अत्यंत गरीब तबके के है। दो वक्त की रोटी नशीब न हो उसे लीची कहां से मिलेंगी…? कूपोषण की समस्या को और सरकारी प्रशासन की विफलता छिपाने के लिये लीची को बदनाम किया जा रहा होने की छबि बन रही है।
संसद के वर्तमान सत्र में भाजपा के राजीवप्रताप रूडी ने मामला उठाया की हम तो बचपन से लीची खाते आ रहे है उन्हें को कुछ नहीं हुवा तो फिर इन बच्चों की मौत के लिये लीची को क्यों बदनाम करने के कोशिश हो रही है…? सवाल उनका सही है। लेकिन वे जानते ही होंगे की बिहार में उनकी पार्टी भाजपा भी सरकार में शामिल है। और उपमुख्यमंत्री सुशीलकुमार मोदी ने हाल ही में सोश्यल मिडिया में अपने आप को बिहार का मुख्यमंत्री बताया….! इसलिये कूपोषण की समस्या के लिये सुशानबाबु के साथ साथ भाजपा भी उतनी ही जिम्मेवार कह सकते है। बिहार के जिस क्षेत्र में ये बिमारी फैली है उस क्षेत्र के कइ गांवो से अभिभावकोंने अपने बच्चों को बिमारी से बचाने के लिये गांव से दूर अपने रिश्तेदारों के यहां भेज दिये होने की भी खबर है। कइ गांव में कोइ बच्चा ही नहीं है। बिना गांव के बच्चे हो गये है फिलहाल। ये हाल है बिहार का।
बिमारी और कूपोषण से मर रहे बच्चों को बचाने की हर संभव कोशिश होनी चाहिये। लीची-वीची का बहाना छोडिये। लीजी पूरा दुनिया खा रही है। कीसी को कुछ नहीं हुवा और बिहार के गांवो में बच्चों को लीची खाने से जानलेवा बुखार कैसे आ सकता है….? गरीब और पिछडे वर्गो में कूपोषण की समस्या को हल करने की सरकार कार्यवाई करें। कहीं अस्पताल में ओक्सीजन न मिलने से बच्चें मारे जाते है कहीं कूपोषण की वजह से। प्रसाशनबाबु और बडे बाबुजी, नया भारत ऐसा बने की एक भी बच्चा कूपोषण से पिडित न हो। बुलेट ट्रेन देर से चलेंगी तो चलेंगा लेकिन कूपोषण और गरीबी की वजह से बच्चों की बैमौत नये भारत के लिये कतई अच्छा नहीं लगेगा। प्रशासनबाबु बिहार को विशेष राज्य का दरज्जा कब मिलेंगा आपको भी पत्ता नही लेकिन देश को पत्ता है की आपके राज्य में बच्चें कूपोषण और सही इलाज के अभाव की वजह से ही दुनिया से जा रहे है। तत्काल कुछ किजिये। बच्चों की दुवा मिलेंगी।
बिहार में जापानी बुखार का कहर बरपा है। वैशाली जिल्ले और अन्य गांवो में इस बुखार की वजह से अबतक 100 से ज्यादा बच्चें अल्पसमय में मारे गये। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिशकुमार सुशानबाबु के नाम से जाने जाते है। उनका दावा है की उनके शासन में सब कुशलमंगल है। लेकिन वास्तविक्ता कुछ और ही है। बच्चों की मोत को लेकर अलग अलग कारण दिये जा रहे है। एक कारण ये दिया जा रहा है की इन बच्चों ने ज्यादा मात्रा में लीची नामक फल खाये उसकी वजह से दिमाग का बुखार आया और मर गये। लीची से बच्चें मर रहे है…इसका इतना प्रचार या कूप्रचार हुवा की लोगों ने खुद और बच्चों को लीची खिलाना बंद कर दिया। ओडिसा में तो लीची से लोग दूर हो रहे है। लीची मानो कोइ मीठा फल नहीं लेकिन जहर हो ऐसा प्रचार चलने से लीची फल उगानेवाले किसान परेशान हो गये है। उनकी लीची कोइ ले नहीं रहा। लीची का माल पडा रहा है। लेकिन क्या वास्तव में लीची की वजह से ही ऐसा हुवा है क्या…? डाक्टरों का और विशेषज्ञों का कहना है की लीची ही एक वजह नहीं है असल में ये बच्चे कूपोषण से भी पिडित है। मरनेवाले बच्चों को माता पिता अत्यंत गरीब तबके के है। दो वक्त की रोटी नशीब न हो उसे लीची कहां से मिलेंगी…? कूपोषण की समस्या को और सरकारी प्रशासन की विफलता छिपाने के लिये लीची को बदनाम किया जा रहा होने की छबि बन रही है।
संसद के वर्तमान सत्र में भाजपा के राजीवप्रताप रूडी ने मामला उठाया की हम तो बचपन से लीची खाते आ रहे है उन्हें को कुछ नहीं हुवा तो फिर इन बच्चों की मौत के लिये लीची को क्यों बदनाम करने के कोशिश हो रही है…? सवाल उनका सही है। लेकिन वे जानते ही होंगे की बिहार में उनकी पार्टी भाजपा भी सरकार में शामिल है। और उपमुख्यमंत्री सुशीलकुमार मोदी ने हाल ही में सोश्यल मिडिया में अपने आप को बिहार का मुख्यमंत्री बताया….! इसलिये कूपोषण की समस्या के लिये सुशानबाबु के साथ साथ भाजपा भी उतनी ही जिम्मेवार कह सकते है। बिहार के जिस क्षेत्र में ये बिमारी फैली है उस क्षेत्र के कइ गांवो से अभिभावकोंने अपने बच्चों को बिमारी से बचाने के लिये गांव से दूर अपने रिश्तेदारों के यहां भेज दिये होने की भी खबर है। कइ गांव में कोइ बच्चा ही नहीं है। बिना गांव के बच्चे हो गये है फिलहाल। ये हाल है बिहार का।
बिमारी और कूपोषण से मर रहे बच्चों को बचाने की हर संभव कोशिश होनी चाहिये। लीची-वीची का बहाना छोडिये। लीजी पूरा दुनिया खा रही है। कीसी को कुछ नहीं हुवा और बिहार के गांवो में बच्चों को लीची खाने से जानलेवा बुखार कैसे आ सकता है….? गरीब और पिछडे वर्गो में कूपोषण की समस्या को हल करने की सरकार कार्यवाई करें। कहीं अस्पताल में ओक्सीजन न मिलने से बच्चें मारे जाते है कहीं कूपोषण की वजह से। प्रसाशनबाबु और बडे बाबुजी, नया भारत ऐसा बने की एक भी बच्चा कूपोषण से पिडित न हो। बुलेट ट्रेन देर से चलेंगी तो चलेंगा लेकिन कूपोषण और गरीबी की वजह से बच्चों की बैमौत नये भारत के लिये कतई अच्छा नहीं लगेगा। प्रशासनबाबु बिहार को विशेष राज्य का दरज्जा कब मिलेंगा आपको भी पत्ता नही लेकिन देश को पत्ता है की आपके राज्य में बच्चें कूपोषण और सही इलाज के अभाव की वजह से ही दुनिया से जा रहे है। तत्काल कुछ किजिये। बच्चों की दुवा मिलेंगी।