हिंद महासागर में चीन की ओर से लगातार बढ़ते खतरे को देखते हुए भारतीय नौसेना जल्द अपनी क्षमता को बढ़ाने जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने प्रोजेक्ट-75 के तहत 6 अत्याधुनिक पनडुब्बियों को बनाने के लिए भारतीय रणनीतिक साझेदारों को प्रस्ताव के लिये आग्रह (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट) जारी किया है। ये पनडुब्बियां रडार की पकड़ में नहीं आने वाली प्रौद्योगिकी से लैस होंगी।
मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत जारी इस कांट्रैक्ट की लागत लगभग 45 हजार करोड़ रुपये है। जिसमें छह पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर के तहत किया जाएगा। नौसेना के लिए प्रोजेक्ट 75 को शुरू हुए तीन साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। साल 2017 में छह अत्याधुनिक पनडुब्बी निर्माण करने की महत्वकांक्षी परियोजना के लिये चार विदेशी कंपनियां मुख्य रूप से सामने आई थीं।
उस समय फ्रांस की कंपनी नावन ग्रुप, रूस की रोसोबोरोनएक्सपोटर्स रुबिन डिजाइन ब्यूरो, जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स और स्वीडन की साब ग्रुप ने इस परियोजना में भाग लेने के लिए रूचि जाहिर की थी। इस बार भी इन्हीं कंपनियों को सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है जिसमें से किसी एक को यह टेंडर दिया जा सकता है। इनकों पनडुब्बी का निर्माण भारत में ही करना होगा। इस परियोजना का उद्देश्य विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर देश में पनडुब्बी और लड़ाकू विमान बनाने जैसे सैन्य प्लेटफार्म को तैयार करना है।