अमरीका और ईरान के बीच हालिया घटनाओं से तनाव बढ़ गया है। ऐसे में फारस खाड़ी से गुजरने वाले भारतीय जहाजों की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। इसके लिए ऑपरेशन संकल्प शुरू किया गया है। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय युद्धपोतों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह फारस की खाड़ी और होरमुज-स्ट्रेट से गुजर रहे भारतीय तेल टैंकरों, कार्गो और कॉमर्शियल जहाजों को वहां से सुरक्षित निकालें। नौसेना के अनुसार इस काम के लिए आईएनएस चेन्नई और आईएनएस सुनयना को समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए ओमान और फारस की खाड़ी में तैनात किया गया है। इसके अलावा, क्षेत्र में विमानों द्वारा हवाई निगरानी भी की जा रही है।
हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित भारतीय सूचना केंद्र को अलर्ट कर दिया गया है। इसका उद्घाटन दिसंबर 2018 में नौसेना द्वारा किया गया था। ये खाड़ी क्षेत्र में जहाजों की आवाजाही पर कड़ी नजर रख रहा है।
ईरान एक अमरीकी ड्रोन को गिरा दिया था। अमरीका कहना है कि यह ड्रोन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को उल्लंघन नहीं कर रहा था। इसके बावजूद से ईरान ने उड़ा दिया। इसे अमरीकी राष्ट्रपति ने ईरान की बड़ी गलती करार दिया है। ईरान के अर्धसैनिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खुमैनी ने आरोप लगाए हैं कि गुरुवार की सुबह एक अमरीकी ड्रोन को दक्षिणी ईरान के होर्मगान प्रांत में कोहंबोराक जिले में मंडरा रहा था। इसे मार गिराया गया है। खुमैनी ने आरोप लगाया कि यह ड्रोन ईरान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था। कोहंबोराक तेहरान से लगभग 1,200 किलोमीटर (750 मील) दक्षिण-पूर्व में है और स्टॉर्म ऑफ होर्मुज के करीब है। ड्रोन की पहचान RQ-4 ग्लोबल हॉक के रूप में की गई है।