अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने के अभियान गगनयान को क्रियान्वित करने की इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन की राह अभी काफी लंबी है । हालांकि हाल ही में इसरो को इस मिशन के लिए १० हजार करोड़ रुपयों के बजट का अनुमोदन मिला है लेकिन अभियान मानवों के अनूकूल है कि नहीं यह जांचना और रॉकेटों के निर्माण जैसे अहम काम अभी बाकी है । ह्युमन रेटिंग के बाद ही यह सुनिश्चित किया जाता है कि पुरा सिस्टम मानवों को अंतरिक्ष में भेजने के लायक सुरक्षित है या नहीं । इससे यह भी तय होता है कि किसी नाकामी की स्थिति में अभियान के पास अपने चालक दल को सुरक्षित धरती पर पहुंचाने की तकनीकी कुशलता है या नहीं ।
इसरो के चेयरमैन सिवान के ने कहा, अभी बहुत काम बाकी है । पैसों के अनुमोदन के हम आगे नहीं बढ़ सकते थे क्योंकि अभी मिशन में ऐसे बहुत से टेस्ट और डिवेलपमेंट किए जाने हैं जिनमें काफी पैसा लगना है । जानकारों के मुताबिक, अनुमोदित १० हजार करोड़ रुपयों में से कम से कम आधे तो ह्युमन रेटिंग में ही खर्च हो जाने है । इसके अलावा अंतरिक्षयात्रियों की वापसी के लिए बनने वाला नया लॉन्च पैड भी काफी महंगा है । सिवान ने बताया, हमें रॉकेट, क्रु और सर्विस मॉड्यूल के तीन सेट बनाने है । इस समय में सटीक तौर पर यह नहीं बता सकता कि इन तीनों के लिए अलग अलग कितना पैसे लगेगा पर यह तय है कि तीन जीएसएलवी-एमके रॉकेट, दूसरे मॉड्यूल और ह्युमन रेटिंग से जुड़े तमाम टेस्ट करने में बजट का ५० पर्सेंट खर्च हो जाएगा ।
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