जूलर नीरव मोदी की कंपनियों फायरस्टार डायमंड इंक, ए जैफे इंक और फैंटसी इंक ने अमेरिका में दिवालिया होने की अर्जी में जो जानकारियां दी है, उनकी तुलना सीबीआई की एफआईआर से करने पर इसका पता चल सकता है कि १२,६०० करोड़ के पीएनबी फ्रॉड का पैसा कहां गया । जांच अधिकारियों और एक्सपर्टस ने बताया कि इससे कई कई सवाल भी खड़े हुए हैं । मसलन, कथित फर्जीवाड़ा करने वालों तक पैसा पहुंचाने के लिए किस तरह से अनजानी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया । दिवालिया होने के लिए जो अर्जी दी गई है, उसके मुताबिक ए जैफे पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की पैसिफिक डायमंड्स और ट्राईकलर डायमंड्स एफजेडई का ६० लाख डॉलर बकाया है । सीबीआई की एफआईआर में भी इन दोनों कंपनियों के नाम हैं । इन्हे एफआईआर में एक्सपोर्टस बताया गया है जो पीएनबी के कुछ कर्मचारियों की तरह से इश्यू किए गए लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के बेनेफिशियरी हैं । आरोप है कि पीएनबी के इन एंप्लॉयीज ने नीरव मोदी, उनके मामा और जुलर मेहुल चोक्सी और उनकी कंपनियों के साथ मिलीभगत करके जारी किए थे । एक सूत्र ने बताया कि दिवालिया होने के लिए दी गई अर्जी के अनसिक्यॉर्ड क्रेडिटर्स और सप्लायर्स के नाम एक हैं । उहोंने कहा कि यह हैरान करने वाली बात है । सूत्र ने कहा, जेम्स एंड जूलरी इंडस्ट्री में जो फ्रॉड होते हैं, उसमें यह तरीका आम है । अधिकतर मामलों में विदेशी कंपनियां भारतीय ग्रुप या कंपनी से जुड़ी होती है । नीरव मोदी के मामले में दोनों कंपनियां एक ही हैं । ऐसे में सवाल यह है कि उस कंपनी ने भारतीय कंपनी से क्यों डील की और किस वजह से इतना बड़ा मार्जिन चुकाया ? ए जैफे पर यूएई की युनिवर्सल फाइन जूलरी एफजेडई का भी १४ लाख डॉलर बकाया है । यह भी अनसिक्यॉर्ड लोन है यानी इसके बदले कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी गई है । इस कंपनी का भी सीबीआई की एफआईआर में नाम है । अमेरिका में दी गई जानकारी से पता चलता है कि ए जैफे ने नीरव मोदी को १.१ करोड़ डॉलर का कर्ज दिया, जबकि वह १.४ करोड़ डॉलर के घाटे में भी । इससे यह भी पता चलता है कि ए जेफे की आमदनी बहुत कम थी ।
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