नोटबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था के साथ साथे पेमेंट के तरीके को पूरी तरह से बदल कर रख दिया था । नोटबंदी के पीछे सरकार एक तर्क देश को लेस कैश इकॉनमी बनाना भी था । डिजिटल ट्रांजैक्शंस को बढावा देने के लिए सरकार पिछले साल से कई कार्यक्रम चला रही है । इस दिशा में सरकार एक बडा फैसला ले सकती है, चेक बुक खत्म करने का । इसके पीछे सरकार का उद्देश्य लेन-देन को पुरी तरह डिजिटल करने का है । कन्फीड्रेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेवाल ने बताया था कि इसकी पुरी संभावना है कि निकट भविष्य में सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शंस को बढावा देने के लिए चुक बुक व्यवस्था को खत्म कर दे । खंडेवाल ने डिजिटल रथ की लॉन्चिंग पर इसकी जानकारी दी थी । सीएआईटी और मास्टरकार्ड मिलकर इस कार्यक्रम को चला रहे हैं । जिसका उद्देश्य ट्रेडर्स को डिजिटल ट्रांजैक्शंस के तरीके बताने के साथ साथ कैशलेस इकॉनमी को बढावा देना है । उन्होंने कहा सरकार करन्सी नोटों की प्रिंटिंग पर २५ हजार करोड रुपये खर्च करती है और नोटों की सुरक्षा और रखरखाव पर ६ हजार करोड रुपये खर्च करती है । दूसरी तरफ बैंक डेबिट कार्ड पेमेंट के लिए १ प्रतिशत और क्रेडिट कार्ड के लिए २ प्रतिशत चार्ज करते हैं । सरकार इस प्रक्रिया में बदलाव कर बैंकों को सीधे सब्सिडी पहुंचाना चाहती है जिससे इस चार्ज को हटाया जा सके । चेक बुक बैन करने से कैशलेस इकॉनमी की दिशा में क्या फायदा होगा, अधिकतर व्यापारिक लेन-देन चेक के जरिए ही होता है । अभी ९५ प्रतिशत ट्रांजैक्शंस कैश या चेक के जरिए होते हैं ।
नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में कमी आई और चेक बुक का उपयोग बढ गया । सरकार ने इस वित्त वर्ष के अंत तक २.५ खरब डिजिटल ट्रांजैक्शंस का टारगेट रखा है । इस टारगेट को पुरा करने के लिए सरकार चेक बुक पर जल्द ही बैन लगा सकती है ।