गुजरात विधानससभा चुनाव का बिगुल बन चुका है । राज्य के दोनो प्रमुख राजनितीक पक्ष बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी अपनी ताकात से चुनाव में जौक दिया है । हार्दिक पटेल कांग्रेस के लिए अब मुश्किल बन ते दिख रहे है । पाटीदारो को संवैधानिक आरक्षण कांग्रेस पार्टी कैसे देगी उस मुद्दे पर अपना स्टेन्ड क्लीयर कर ने की हार्दिक पटेल ने चैतावनी दिए जाने के बाद अब कांग्रेस की अगली चाल क्या होगी उसे लेकर भी चर्चा चल रही है । सभी जानकार लोगो का कहेना है कि हार्दिक पटेल की नई चैतावनी से कांग्रेस की मुश्किले बढ़ती दिख रही है । साल २०१२ में हुए चुनाव में केशुभाई पटेल ने भाजपा से किनारा करते हुए गुजरात परिर्वतन पार्टी (जीपीपी) की रचना की थी । जीपीपी ने गुजरात में ज्यादातर सीटों का चुनाव लडा था । किन्तु इस पार्टी को २ सीटें मिली थी १६४ सीटों पर लड़ने के बावजुद सीफ २ सिटें मिली थी । केशुभाई पटेल विशावदर से और नलीम कोटडीया धारी से चुनाल जीते थे । जीपीपी राज्य में ३.६३ प्रतिशत मत हिस्सेदारी के साथ तीसरे नंबर की पार्टी की तौर उभरे थे । भाजपा को ४७.९ प्रतिशत और कांग्रेस पार्टी को ३८.९ प्रतिशत मत हिस्सेदारी मिली थी । भाजपा ने कांग्रेस पर नौ प्रतिशत का वोट गेप रखने में सफलता हासिल की थी । २०१२ में जीपीपी के अच्छे प्रदर्शन चलते भाजपा ने कांग्रेस पार्टी को अनेक सीटों पर जीत से वंचित रख दिया था । जीन सिटों पर कांग्रेस पार्टी की कम मार्जिंग से हार हुई थी उन सीटों में मांडवी, बेचराजी, राजकोट ग्रामीण, गोंडल, कालावड, जामनगर दक्षिण, जुनागढ, केशोद, गढडा और फतेहपुरा सामिल है । मांडवी में भाजपा ने ८५०६ मतो से जीत दर्ज की थी । यहां जीपीपी को १२७२० मत मिले थे । इसी तरह कालावड में बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी पर ६११९ मतो से जीत दर्ज की थी । जीपीपी को यहां ३३४१८ मत मिले थे । सभी आंकडे दर्शाते है की २०१२ चुनाव में बीजेपी ने कुछ सीटों पर खुब कम मार्जिग से जीत दर्ज की थी ।