गुजरात में विधानसभा चुनाव के एलान के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोने ही पार्टीया नई नई व्यूहरचना बनाने में व्यस्त है । दुसरी और गुजरात के चुनावी इतिहास पर नजर की जाय तो जान सकते है की भाजपा को सर्वाधिक १२७ और कांग्रेस को १४९ सीटे मीली थी । कांग्रेस को तीन बार तीन चौथाइ बहुमत मिला है । भाजपा को दो बार दो तिहाई बहुमत मिला है । आंकडो पर नजर की जाए तो साल २०१२ के चुनाव में भाजपा को ११५ और कांग्रेस को ६१ सीटे मिली थी । दुसरी और साल २००७ में भाजपा को ११७ और कांग्रेस को ५९ सीटे मिली थी । चुनावी इतिहास देखे तो कांग्रेस को तीन बार गुजरात की जनता ने तीन चौथाई बहुमत से जीत दिलाई है । भाजपा के साथ ऐसा नही हो सका है । यह सीटें तीन चौथाई बहुमत से थोड़ी कम थी । १९६७ के दुसरे विधानसभा चुनाव में ९३ सीटें मिली थी । १९७२ के तीसरे विधानसभा चुनाव में १४० सीटें मिली थी जो तीन-चौथाई से भी ज्यादा थी । इसी तरह १९८० और १९८५ के चुनाव में भी पार्टी को तीन चौथाई से ज्यादा सीटें मिली थी । वहीं १९७५ के चौथे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ७५ सीटों ही मिली थी वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एनसीओ को ५६ सीटें मिली थी । भारतीय जनता पार्टी को अब तक के गुजरात के चुनाव में सिर्फ दो बार ही दो-तिहाई बहुमत मिल सका है । यह दो तिहाई बहुमत उसे वर्ष २००२ और १९९५ के चुनाव में हासिल हो सका है । एक तरफ जहां भाजपा दिसम्बर के चुनाव में १५० सीटों के आंकडे के जीत का दावा लगा रही है, वहीं कांग्रेस ने भी १२५ सीटों पर जीतने का लक्ष्य रखा है । उनके दावे पर गौर करते हुए राज्य के चुनावी इतिहास पर गौर करें तो पता चलेगा कि जहां सत्ताधारी पार्टी को अब तक अधिकतम १२७ सीटें मिली है, वहीं कांग्रेस ने सर्वाधिक १४९ सीटें जीती । भाजपा को वर्ष २००२ के हिन्दुत्व के लहर के दौरान १२७ सीटें मिली थी । कांग्रेस ने वर्ष १९८५ में माधवसिंह सोलंकी ने खाम ( क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी व मुस्लिम ) समीकरण अपनाते हुए सबसे ज्यादा सीटें जीती थी, जो अब तक का रिकोर्ड है । इस चुनाव में कांग्रेस को ५५.५५ फीसदी वोट मिले थे, लेकिन कांग्रेस के लिए १९८५ के बाद का हर चुनाव उसे सत्ता के जादुई आंकडे़ ९२ तक पहुंचाने में नाकाम रहा है । भाजपा ने वर्ष १९८० के चुनाव में पर्दापण किया था । तब इस पार्टी को सिर्फ ९ सीटें मिली थी । यह राज्य के चुनावी इतिहास में पार्टी का सबसे कम आंकड़ा है ।
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