केंद्र और उ.प्र. सरकार की तर्ज पर अब दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी भ्रष्ट अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति करने का फैसला किया है। भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसने के लिए दिल्ली सरकार तैयारी में जुटी हुई है। लेकिन यहां एक सवाल यह भी उठ रहा है कि अब जबकि केजरीवाल सरकार सिर्फ 5-6 महीने ही बची है तो कहीं यह केजरीवाल सरकार का राजनीतिक स्टंट तो नहीं है। फिलहाल दिल्ली सरकार ने कैबिनेट मंत्रियों को सभी विभागों के ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है, जिन्हें जबरन सेवानिवृत्त किया जा सके।
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलकर चर्चा की। इससे पूर्व केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ भी इस मुद्दे पर विस्तार से विचार किया था। इन अधिकारियों को सेंट्रल सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स, 1972 के फंडामेंटल रूल 56 (जे) के तहत केंद्र सरकार की तर्ज पर जबरन सेवानिवृत्त किया जाएगा।
सरकार का मानना है कि भ्रष्ट अधिकारी लोगों के लिए बनाई जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं को बर्बाद करते हैं और जनता के हक के पैसों से अपना घर भरते हैं। पिछले साढ़े चार वर्ष के दौरान दिल्ली सरकार के संज्ञान में ऐसे कई अधिकारी आए हैं, जिन्होंने लोक कल्याणकारी नीतियों का विरोध किया। सरकार के सूत्रों का कहना है कि कई ऐसे अधिकारी जानकारी में हैं, जिन्होंने कल्याणकारी नीतियों को लागू करने से बेवजह इनकार कर दिया।