दिल्ली के आसमान पर ओजोन का खतरनाक स्तर तैर रहा है। दिल्ली और उसके आस-पास रहने वालों के जीवन पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। जी हां दिल्ली-एनसीआर की हवा अब और जहरीली हो गई है। रिपोर्ट की मानें तो पिछले वर्ष एक अप्रैल से पांच जून के बीच 17 दिन ऐसे थे जब हवा में ओजोन की मात्रा मानकों से ज्यादा थी जबकि, इस वर्ष 28 दिन ऐसे रहे जब ओजोन प्रदूषण की मात्रा निर्धारित मानक से काफी ज्यादा रही।
पिछले साल आठ घंटे के औसत में ओजोन की मात्रा 106 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी जबकि, इस वर्ष 122 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। एनसीआर के फरीदाबाद, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी ओजोन का स्तर बढ़ा है। विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र की हाल में जारी रिर्पोट के अनुसार बीते साल भर में ओजोन के प्रदूषक कणों की मात्रा डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। औद्योगिक ही नहीं आवासीय इलाकों में भी इसका स्तर बढ़ता जा रहा है।
हम बता दें कि ओजोन है क्या दरअसल हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन जब तीखी धूप के साथ प्रतिक्रिया करते हैं तो ओजोन प्रदूषक कणों का निर्माण होता है। वाहनों और फैक्टरियों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड व अन्य गैसों की रासायनिक क्रिया भी इसका कारण।
यूं तो नवंबर, दिसंबर और जनवरी में सांस लेना मुश्किल होता है लेकिन अप्रैल, मई व जून में हवा अपेक्षाकृत साफ रहती है। लेकिन अब इन दिनों में भी हवा दम घोंटू हो गई है। विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र के मुताबिक आठ घंटे के औसत में ओजोन प्रदूषक की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, पर दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में यह मात्रा 100 से काफी ज्यादा है।
इससे से श्वांस रोग और हृदय रोग पीड़ितों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। त्वचा रोग का भी खतरा। महिलाओं और मोटे लोगों को अधिक जोखिम हो सकता है। इस बीच विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर का कहना है कि, “ओजोन प्रदूषण का बढ़ना बेहद गंभीर मसला है। इसकी रोकथाम के लिए ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम में भी प्रावधान किया जाना चाहिए।”