केन्द्र सरकार चालू हालत वाली अपनी सड़कों, हवाई अड्डो, बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे से जुड़ी अन्य संपत्तियों को प्राइवेट ओपरेटरों को लीज पर देने के विकल्प पर विचार कर रही हैं । यह कदम नए प्रोजेक्ट्स में सरकारी निवेश के लिए पैसे का इंतजाम करने और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के मकसद से उठाया जा सकता हैं । नीति आयोग ऐसे प्रोजेक्ट्स की लिस्ट बनाएगा, जिन्हे प्राइवेट सेक्टर को ओफर किया जा सकता हैं । आयोग इस संबंध में चर्चा के लिए एक नोट जारी करेगा । नए इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट लगभग रुक गया हैं । इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों पर लदे भारी कर्ज और ऐसे प्रोजेक्ट्स में प्राइवेट इन्वेस्टमेन्ट लगभग रुक गया हैं । इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों पर लदे भारी कर्ज और ऐसे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने से जुड़े कई तरह के जोखिम के कारण ऐसा हुआ हैं । एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि लीज पर देने से नए निवेश के लिए पैसा आएगा । उन्होंने कहा कि जो प्रोजेक्ट्स पूरे हो गए हैं और जहां से कमाई होनी शुरु हो गई है, उनसे सरकार को निकल जाना चाहिए और उन्हें रिवर्स बिल्ड ओपरेट ट्रांसफर बेसिस पर मार्केट में रख देना चाहिए । नीति आयोग ने ऐसी सरकारी कंपनियों की पहचान की है, जिनसे सरकार स्ट्रैटिजिक सेल या अपना हिस्सा पूरी तरह बेचकर किनारा कर लेगी । सरकार ने घाटे में चल रही और कर्ज से लदी एयर इंडिया में भी अपना हिस्सा बेचने का सैद्धांतिक निर्णय कर लिया हैं । अब फोकस सरकारी एजेंसियों के पास मौजूद इंडिविजुअल प्रोजेक्ट्स की ओर मुड़ेगा, जिनमें अब तक विनिवेश पर विचार नहीं किया गया था । ओपरेशनल प्रोजेक्ट्स से सरकार के किनारा करने की दलील देते हुए अधिकारी ने कहा कि इन प्रोजेक्ट्स में कोई जोखिम नहीं हैं ।