सुप्रीम कोर्ट ने शहर के अंदर से गुजरने वाले हाईवे को लेकर बड़ी टिप्पणी की है । मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि अगर कोई स्टेट हाईवे शहर के बीच से होकर गुजरता है और उसे डिनोटिफाई किया जाता हैं तो पहली नजर में गलत नहीं होगा । शहर के बीच से गाडियां आम तौर पर धीमी रफ्तार से चलती हैं । कोर्ट के इस फैसले से शहर के अंदर हाईवे से लगी शराब की दुकानों के मालिकों को राहत मिल सकती हैं । हाईवे के ५०० मीटर इलाके में शराब पर रोक के मामले में कोर्ट सुनवाई कर रही थी । कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि शहर के अंदर के हाईवे और शहर के दूर के हाईवे में बहुत अंतर हैं । हाईवे का मतलब है जहां तेज रफ्तार में गाडियां चलती हों । कोर्ट ने हाईवे को ५०० मीटर के दायरे में शराब बिक्री पर रोक लगाने के संबंध में कहा कि हाईवे के ५०० मीटर दायरे में शराब बिक्री पर रोक के पीछे सोच हैं कि लोग शराब पीकर तेज रफ्तार में गाड़ी न चलाए । सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में माना कि शहर के बीच आने वाले हाईवे पर गाडियों की रफ्तार इतनी तेज नहीं होती हैं। कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश का उद्देश्य सिर्फ यही था कि हाईवे के पास शराब उपलब्ध न हो । कुछ लोग शराब पीकर तेजी से गाड़ी चलाते हैं और इससे दुर्घटना हो जाती हैं ।चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह सवालों के जवाब दें और फिर ११ जुलाई को सुनवाई कर आदेश जारी किया जाएगा । बता दें कि चंडीगढ़ में कई जगह हाईवे का नाम बदलकर मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड कर दिया गया हैं । इसी को लेकर अराइव सेफ इंडिया एनजीओ ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की हैं।