हरियाणा की गठबंधन सरकार में सहयोगी भाजपा ने किसान आंदोलन के बीच नई रिवायत शुरू की है। पहली बार अनौपचारिक बैठक डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के निवास पर हुई। इससे दोनों दलों ने गठबंधन सरकार के मजबूत होने का संदेश दिया। साथ ही किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने के संकेत दिए। बैठक के बाद दुष्यंत ने कहा, किसानों को जब तक एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) हरियाणा में मिलेगा, तब तक वह सरकार का हिस्सा हैं। प्रदेश में जिस दिन किसानों को एमएसपी नहीं मिलेगा, वह सरकार से हिस्सेदारी छोड़ देंगे। सीएम मनोहर लाल ने कहा, एमएसपी खत्म नहीं होगी। गठबंधन सरकार मजबूत है और अगले चार साल प्रदेश हित में काम करेगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला ने सबसे पहले एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लिखित में शामिल करने के लिए केंद्र से कहा था, जिसको लेकर केंद्र सरकार तैयार है। जब तक हम सरकार में हैं, किसानों की फसलों के एक-एक दाने पर एमएसपी सुनिश्चित होगी। जिस दिन एमएसपी व्यवस्था पर कोई आंच आएगी, उसी दिन वह इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से कहा, अगर इसके बाद भी किसी को कोई संदेह है तो वे हरियाणा में हुई बाजरे की ऐतिहासिक खरीद को देखें।
दुष्यंत चौटाला ने कहा, विपक्षी नेताओं को केवल जननायक जनता पार्टी की चिंता है। चौ. देवीलाल कहते थे कि किसानों की बात सरकार तभी सुनती है जब किसान की हिस्सेदारी सरकार में हो। किसानों के आंदोलन पर सरकार की निगाह है। बॉर्डर पर बैठे किसानों के धरने की व्यवस्थाओं को देखने के लिए 1000 से ज्यादा कर्मचारी ड्यूटी पर हैं।
उपमुख्यमंत्री ने किसान आंदोलन पर कांग्रेस को घेरा कहा, पड़ोसी राज्य पंजाब व राजस्थान में ऐसा नहीं हैं और वहां बाजरा सड़कों पर बिक रहा है। उन्होंने कहा, पंजाब के मुख्यमंत्री ने तो किसानों को प्रताड़ित करने का काम किया। उन्होंने कहा, बिजाई के सीजन में पंजाब के किसानों के पास न खाद पहुंच पाई और न ही बीज। उन्होंने कहा, इस तरह से पंजाब सरकार ने योजनाबद्ध ढंग से किसानों को परेशान किया, जिससे आज पंजाब के किसानों में रोष हैं।
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