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GST लागू करते समय किए वादों को पूरा करे केंद्र सरकार : गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से जीएसटी को लागू करते समय राज्य सरकारों से किए गए वादों को पूरा करने तथा केंद्र द्वारा लागू किए जा रहे कुछ करों का अधिकार राज्य सरकारों के लिए छोड़ने का आग्रह किया है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों में विश्वास कायम रखने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोमवार को लिखे गए पत्र में गहलोत ने राज्यों को जीएसटी मुआवजे के भुगतान में आ रही कठिनाइयों का जिक्र किया है। गहलोत ने केंद्र सरकार से जीएसटी को लागू करते समय राज्य सरकारों से किए गए वादों को पूरा करने तथा केंद्र द्वारा लागू किए जा रहे कुछ करों का अधिकार राज्य सरकारों के लिए छोड़ने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक में केंद्र सरकार द्वारा यह सुझाव दिया गया था कि राज्य द्वारा जीएसटी मुआवजे में कमी की पूर्ति कर्ज के माध्यम से की जाए।
केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि इसकी पूर्ति मुआवजा कोष से की जाए और इस कमी को वित्त पोषित करने की केंद्र सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है। यह उस संविधान संशोधन की मूल भावना के विपरीत है, जिसके तहत राज्यों द्वारा कुछ करों को लागू करने के अपने संवैधानिक अधिकारों को केंद्र सरकार के पक्ष में दे दिया गया था। गहलोत ने पत्र में लिखा है कि संविधान संशोधन के तहत अनेक राज्य करों को जीएसटी में सम्मिलित कर दिया गया था और कहा गया था कि राज्यों को इससे होने वाले राजस्व हानि को देखते हुए मुआवजा उपलब्ध करवाया जाएगा।
जीएसटी (कम्पनसेशन टू स्टेट) एक्ट 2017 में राज्यों को जीएसटी को लागू करने के कारण राजस्व हानि की पूर्ति करने के लिए पांच वर्ष तक मुआवजा देने की गारंटी दी गई है। इसलिए अब यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि राज्यों को मुआवजे की पूरी राशि बिना किसी देनदारी के मिले। उन्होंने कहा कि अपरिहार्य स्थितियों के कारण कर संग्रहण में कमी होने के बावजूद जीएसटी (कम्पनसेशन टू स्टेट) कानून, 2017 के तहत क्षतिपूर्ति को ना ही कम किया जा सकता है और ना ही बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी कानून के तहत केंद्र सरकार मुआवजा बढ़ाने या घटाने का निर्णय नहीं ले सकता है।
गहलोत ने पत्र के माध्यम से मोदी का मुआवजे के भुगतान से जुड़े जटिल मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित कराया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की मुआवजा के अंतिम वर्ष में राज्यों को पूर्व निर्धारित 14 प्रतिशत वृद्धि के स्थान पर शून्य प्रतिशत वृद्धि की सोच अनुचित है व न्यायोचित नहीं है। उन्होंने पत्र में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है क्योंकि जब कर संग्रहण अधिक होता है तो उसका लाभ केंद्र सरकार को मिलता है। इसलिए अर्थव्यवस्था में जीएसटी संग्रहण में कमी आने पर केंद्र सरकार द्वारा ही इसकी जिम्मेदारी उठाया जाना अपेक्षित है।

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