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सऊदी अरब को मनाने पहुंचे पाकिस्तान के सेना प्रमुख बाजवा

कश्मीर को लेकर दी गई धमकी के बाद पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच संबंध इस कदर तल्ख हो गए कि सऊदी ने पाकिस्तान से अरबों डॉलर का कर्ज चुकाने को कह डाला। इसी तल्ख माहौल को ठीक करने की आशा में पाक सेना के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा सोमवार को सऊदी अरब पहुंचे । दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पिछले दिनों सऊदी पर तीखा हमला कर डाला था जिसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई थी कि पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
खास बात यह रही कि सरकार के मंत्रियों ने भी कुरैशी की आलोचना की है जिससे माना जा रहा है कि कुरैशी की कुर्सी पर खतरा हो सकता है। बाजवा सोमवार सुबह 10 बजे रियाद पहुंचे हैं । उनके साथ आईएसआई अध्यक्ष जनरल फैज हमीद भी हैं। दो सीनियर सैन्य अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि रियाद पाकिस्तान के आलोचना करने से नाराज है जिससे सेना अध्यक्ष को वहां जाना पड़ा है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर यही कहा जा रहा है कि यह दौरा पहले से तय था और इस पर सेना से संबंधित मुद्दों पर ही बातचीत होगी। दरअसल, कुरैशी ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ ओआईसी (अर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन) को न खड़ा होने देने के लिए सऊदी अरब की आलोचना कर डाली थी।
यही बात सऊदी को नागवार गुजरी। इसका असर फौरन देखने को भी मिला जब सऊदी ने 2018 में दिए गए 3 अरब डॉलर के कर्ज और 3.2 अरब के ऑइल क्रेडिट फसिलटी की मदद को वापस चुकाने के लिए कह डाला। उसने दो बार में पाकिस्तान से एक-एक अरब डॉलर चुकाने को कहा। बता दें कि कुरैशी ने कहा था, ‘मैं एक बार फिर से पूरे सम्‍मान के साथ ओआईसी से कहना चाहता हूं कि विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक हमारी अपेक्षा है। यदि आप इसे बुला नहीं सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से यह कहने के लिए बाध्‍य हो जाऊंगा कि वह ऐसे इस्‍लामिक देशों की बैठक बुलाएं जो कश्‍मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।’
संयुक्‍त राष्‍ट्र के बाद ओआईसी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा संगठन है। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक ओआईसी की बैठक न होने के पीछे एक बड़ी वजह सऊदी अरब है। सऊदी अरब ओआईसी के जरिए भारत को कश्‍मीर पर चित करने की पाकिस्‍तानी चाल में साथ नहीं दे रहा है। दरअसल, ओआईसी में किसी भी कदम के लिए सऊदी अरब का साथ सबसे ज्‍यादा जरूरी होता है। ओआईसी पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है।

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