लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच तनातनी के बाद दोनों देशों में युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। दोनों देशों की सेनाएं गलवान घाटी में आमने सामने हैं। चीन से बढ़े तनाव को देखते हुए दुनिया के कई देश भारत की सैन्य ताकत को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। चीन से बढ़े तनाव के बाद दिल्ली में सभी देशों के साथ ही द्विपक्षीय वार्ता के दौरान इस पर सहमति बनी है। जंग के हालात को देखते हुए भारत ने लद्दाख सीमा पर अपने सैनिकों और हथियारों की संख्या बढ़ा दी है।
फ्रांस ने एक ओर जहां अगले महीने यानि जुलाई 2020 में राफेल लड़ाकू विमान देने का वादा किया है तो वहीं दूसरी तरफ इजरायल एयर डिफेंस सिस्टम भारत को दे रहा है। इसी तरह अमेरिका से भारत को जल्द ही तोप में इस्तेमाल होने वाले गोलाबारूद दिए जाएंगे, जबकि रूस ने भी भारत को आधुनिक हथियार और गोला बारूद देने का वादा किया है. बता दें कि रूस 1 बिलियल डॉलर यानी 7560 करोड़ रुपये के गोला-बारूद की सप्लाई करने जा रहा है।
दूसरी तरफ करगिल युद्ध में भारत की मदद करने वाला इजरायल ने भी चीन के साथ जंग के हालात को देखते हुए एयर डिफेंस सिस्टम देने की बात कही है। बताया जाता है कि एयर डिफेंस सिस्टम जिसका अभी तक नाम नहीं बताया गया है बहुत जल्द सीमा की रक्षा के लिए तैनात कर दी जाएगी। दरअसल चीन ने अपनी सीमा पर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया है, जिसके बाद भारत ने भी उसका जवाब देने के लिए इजरायल से एयर डिफेंस जल्द देने की बात कही है।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ काफी लंबे समय से चले आ रहे विवाद को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से सशस्त्र बलों को आपातकालीन वित्तीय अधिकार पहले ही दिए जा चुके हैं। लंबी दूरी तक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस अत्याधुनिक राफेल विमान की पहली खेप 27 जुलाई तक भारत पहुंचने की उम्मीद है। इसके लिए चार भारतीय पायलटों को इन लड़ाकू विमान को चलाने की ट्रेनिंग दी गई है।
फ्रांस ने भारत से कहा है कि वह राफेल की पहली खेप के साथ ही 8 अतिरिक्त राफेल भी भेजने की तैयारी कर रहा है। फ्रांस की ओर से बताया गया है कि सभी आठ विमान उड़ान भरने के सर्टिफिकेट हासिल करने के बेहद करीब हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सभी विमान जल्द ही अंबाला एयरबेस भेज दिए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक फ्रांस इन विमान में इतना ईधन भर देगा जिससे राफेल विमान बिना कहीं रुके सीधे भारत आ सकेंगे।