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मां के नाम के साथ जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश : हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने राजकोट महानगर पालिका के नाम आदेश जारी कर कहा है कि वह याचिका कर्ता को पिता के बदले मां के नाम वाला जन्म प्रमाण पत्र जारी करे। कानून में प्रावधान होने के बाद इससे इंकार नहीं किया जा सकता। 23 वर्ष पूर्व माता-पिता के बीच झगड़े के कारण मां की आत्महत्या के बाद एमबीए हुए पुत्र ने अपने नाम के पीछे मां का नाम और उपनाम लिखने के लिए मनपा में आवेदन किया था। हाईकोर्ट के जस्टिस एवाय कोग्जे ने आवेदक के नाम के बाद पिता का नाम हटा कर मां का नाम और उपनाम लिखने का आदेश दिया।
राजकोट के दम्पति अजयकुमार चावड़ा और दक्षा बेन हेड़व के बीच शादी के बाद झगड़ा बढ़ गया था। पुत्र कौशल एक वर्ष का ही था तब माता दक्षा बेन ने पति के त्रास के कारण आत्महत्या कर ली थी। एक से लेकर हाल 23 वर्ष की उम्र तक कौशल अहमदाबाद में अपनी नानी के यहां ही रहता है। कौशल ने अपने जन्म प्रमाण पत्र में पिता का नाम और उपनाम हटा कर मां का नाम और उपनाम लिखने की मांग की थी। राजकोट मनपा में इसके लिए इसके लिए 15 मई को किए गए आवेदन पत्र को खारिज कर कहा था कि उसे इसका अधिकार ही नहीं है। उसके बाद पिता के नाम और उपनाम से ही प्रमाण पत्र जारी किया था। इसलिए कौशल ने हाईकोर्ट में आवेदन किया था।
कौशल की तरफ से अधिवक्ता मेहुल मेहता ने दलील दी थी कि रजिट्रेशन आफ बर्थ एन्ड डेथ के तहत 1969 के रुल के मुताबिक जन्म-मरण की नामांकन में विभाग के पास याचिका कर्ता के नाम के पीछे मां का नाम और उसका सरनेम लगाने का पूरा अधिकार रहता है। इसके लिए संबंधित विभाग इंकार नहीं कर सकता है। गौरतलब है कि माता के मौत के बाद पुत्र से मिलने के लिए पिता ने बहुत प्रयास किये थे। पंरतु कौशल अहमदाबाद में अपने नानी के यहां रहकर बड़ा हुआ है। वह 22 साल का होने के बाद मनपा में पिता का नाम बदलवाने के लिए इधर-उधर चक्कर काट रहा था।

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