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CAA: जब शिवसेना ने योगी सरकार को भी लपेटा…!

संशोधित नागरिकता कानून-CAA के खिलाफ जो विरोध प्रदर्शन हालही में हुए उसमे सबसे ज्यादा हिंसा की घटनाए भाजपा साशित उत्तरप्रदेश में हुई. करीब 15 से ज्यादा लोग मरे गए. यूपी के सीएम योगी की नाकामी को लेकर शिवसेना ने सामना में तंज कसा है. आइये देखे शिवसेना ने क्या कहा योगी सरकार के लिए….
योगी की नौकरशाही को झटका!
अयोध्या फैसले के बाद प्रदेश में शांति बने रहने पर खुशी मना रही योगी सरकार का चैन जल्दी ही काफूर हो गया। केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून लाने के बाद प्रदेश को अमनोचैन से रखने के दावे धरे रह गए। बीते सप्ताह से प्रदेश में हिंसा का दौर जारी है जो अब जाकर थमा है। बदहवास नौकरशाही ने प्रदेश में डिजिटल इमरजेंसी लगाने से लेकर बड़े पैमाने पर धर-पकड़ जैसे कई काम कर हालात को काबू में करने का प्रयास किया है। हालांकि इतने बड़े स्तर पर हुए प्रदर्शनों की झड़ी, हिंसा, भीड़ व उपद्रव को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने तमाम दावे किए थे पर असली परीक्षा में सब धरा का धरा रह गया। राजधानी लखनऊ में बीते गुरुवार को भीड़ जुटने से रोकने व हिंसा पर लगाम के लिए बड़े इंतजाम का दावा था पर आखिरी मौके पर सब किया धरा बेकार नजर आया। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हुई हिंसा में १६ लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए हैं। ५० से ज्यादा पुलिसवाले घायल हुए हैं। करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति नष्ट हुई है।
इन सबके बीच बड़ा सवाल यही है कि क्या मुख्यमंत्री की विश्वस्त नौकरशाही व सलाहकार मंडली सही दिशा में काम कर रही थी? क्या उससे परिस्थितियों का आकलन करने में चूक नहीं हुई। प्रदेश का खुफिया तंत्र सही समय पर सूचनाएं देने और हालात के बेकाबू होने का अंदाजा क्यों नहीं लगा सका? मुख्यमंत्री को सब कुछ कंट्रोल में रहने का भरोसा देनेवाले अफसरों पर आने वाले दिनों में गाज भी गिर सकती है।
उत्तर प्रदेश भर में नागरिकता कानून के विरोध में पांच दिनों तक हिंसक प्रदर्शन होते रहे। हिंसक भीड़ को रोक पाने में फेल पुलिस ने कानपुर में २०००० लोगों और पूरे प्रदेश के अन्य हिस्सों में ४५०० से ज्यादा लोगों पर एफआईआर दर्ज की है। सहारनपुर में १५०० लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। कानपुर में हुई हिंसा में अलग-अलग थानों में कुल १५ रिपोर्ट दर्ज हुई हैं, इसमें २०००० अज्ञात उपद्रवियों को आरोपी बनाया गया है। आरोपियों पर बलवा, लूट, हत्या का प्रयास, ७ सीएलए समेत अन्य संगीन धाराएं लगाई गई हैं। राजधानी लखनऊ में तमाम प्रतिबंधों के बावजूद कई जगहों पर हजारों की तादाद में प्रदर्शनकारी जमा हुए, जुलूस निकाला, जमकर नारेबाजी की और तांडव मचाया। पूरे शहर में कई जगहों पर हिंसा पैâली। राजधानी के पास हजरतगंज इलाके में घंटों प्रदर्शनकारी बवाल करते रहे और पुलिस से उलझते रहे। बेकाबू हालात को संभालने के लिए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी को सड़कों पर उतरना पड़ा। प्रदेश के कई अन्य शहरों में भी प्रदर्शन हुए और कुछ जगहों पर हिंसा की खबर है। संभल में उपद्रवियों ने बस को फूंक दिया। लखनऊ के बिगड़े हालात के मद्देनजर सरकार ने शाम को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। पूरे घटनाक्रम को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी नाराजगी जताई।
कानपुर में कई हिस्सों में शनिवार को एक बार फिर हिंसा भड़की और यतीमखाना पुलिस चौकी में आग लगा दी गई। यहां समाजवादी पार्टी विधायक को हिरासत में लेने की खबर से भीड़ और भी ज्यादा उत्तेजित हो गई। प्रदेश सरकार का कहना है कि अब तक २६३ पुलिस वाले घायल हुए हैं जिनमें से ५७ को गोली लगी है। हिंसाग्रस्त क्षेत्रों से ४०५ कारतूस बरामद हुए हैं।
बीते गुरुवार को राजधानी में हुई हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने लकीर पीटते हुए उपद्रवियों के नाम पर दर्जनों बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार कर उन्हें यातनाएं देना शुरू कर दिया है। लखनऊ में अंग्रेजी दैनिक `दि हिंदू’ के विशेष संवाददाता ओमर राशिद को शुक्रवार रात हिरासत में ले लिया गया। ओमर के खुद को पत्रकार बताने पर उन्हें बुरी तरह धमकाया गया और फोन छीन लिया गया। हालांकि बाद में उन्हें खेद प्रकट करते हुए छोड़ दिया गया।
प्रदेश सरकार ने खुद ही बताया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए आपत्तिजनक, भ्रामक व भड़काऊ पोस्टों पर मैसेज के सिलसिले में अब तक ६३ मुकदमे दर्ज किए गए हैं जबकि १०२ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रदेश सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कड़ी निगरानी रख रही है। कुल १४१०१ सोशल मीडिया पोस्टों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनमें सबसे ज्यादा ७९९५ फेसबुक व ५९६५ ट्विटर पर हैं। राजधानी में फेसबुक लाइव करने पर भी कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। राजधानी से लेकर कई शहरों में फेसबुक व ट्विटर पर नागरिकता कानून विरोध पर पोस्ट लिखने वालों को फोन पर ऐसा न करने को कहा जा रहा है। प्रदेश सरकार इस संबंध में लगातार चेतावनी भी जारी कर रही है।
उधर प्रदेश में हिंसक घटनाओं और जनजीवन ठप हो जाने पर सरकार और विपक्ष के नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार खुद ही माहौल बिगाड़ने में लगी है। उन्होंने कहा कि सरकार में ही दंगाई बैठे हैं और दंगों से भाजपा को फायदा होता है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि हमने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून से देश के संविधान का उल्लंघन हुआ है और एनआरसी से देश भर में अफरा-तफरी पैâलेगी। अखिलेश ने कहा कि नोटबंदी की तरह भाजपा सरकार एक बार फिर से लोगों को लाइन में लगाने की तैयारी कर रही है। अखिलेश पर पलटवार करते हुए उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि विपक्ष देश व प्रदेश के लोगों को गुमराह करने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि सीएए से किसी मुस्लिम भाई का कोई नुकसान नहीं होगा। बिला वजह अफवाह पैâलाई जा रही कि लोगों को लाइन में लगना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार दुष्प्रचार करनेवालों की निंदा करती है। उप मुख्यमंत्री कहते हैं कि बाहरी लोग हिंसा में शामिल थे जिसमें बड़ी तादाद में माल्दा, बंगाल के लोग पकड़े भी गए हैं। उन्होंने कहा कि ७५ में से २१ जिलों में गड़बड़ियां हुर्इं और ५०० से ज्यादा अवैध कारतूस मिले हैं। पूरे घटनाक्रम में ७५० से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं जबकि १५ मौतें हुई हैं।
सरकार पर जनता के दमन व पुलिस हिंसा का मुद्दा उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के मुताबिक मुख्यमंत्री ही धमकी देने में जुटे हैं और बदला लेने की बात कह रहे हैं।
ये घटनाएं सीएए का ही परिणाम नहीं हैं। २०१४ में भाजपा के केंद्र में सरकार बनने के बाद से ही विपक्ष का बड़ा हिस्सा मुसलमानों को समझा रहा है कि भाजपा उनके हित में नहीं है। वैसे भी मुसलमान कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल आदि की अपेक्षा भाजपा को अपना हितैषी नहीं मानता। २०१९ में भाजपा की दोबारा जीत ने इस वर्ग में अवसाद व निराशा को जन्म दिया है। तीन तलाक, अनुच्छेद ३७० की समाप्ति पर वह भीतर से कुढ़ रहा था, सीएए से उसे विश्वास हो गया है कि जिस तरह भाजपा अपने घोषणापत्र को लागू कर रही है, अगला कदम समान नागरिक संहिता व जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना है। इन्हें नए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का भी डर सता रहा है। इसीलिए वह करो या मरो की स्थिति में आ गया है। विरोधी दल इस धधकती आग में घी डाल रहा है।

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