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रियल एस्टेट कंपनियों के समक्ष नकदी की समस्या

जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियां फिलहाल भारी नकदी समस्या से गुजर रही है लेकिन सरकार के अटकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 25,000 करोड़ रुपए का कोष उपलब्ध कराने की घोषणा से स्थिति सुधर सकती है। जेएलएल इंडिया के सीईओ और क्षेत्रीय प्रमुख रमेश नायर ने बुधवार को यह बात कही। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोष का वितरण अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को तेजी से और पारदर्शी तरीके से किया जाए। संपत्ति प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के चयन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में नायर ने कहा, ‘‘वास्तव में रियल एस्टेट बाजार में नकदी नहीं है। कंपनियों को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से कोष नहीं मिल रहा।” उन्होंने कहा कि पिछले कई साल से एनबीएफसी रियल एस्टेट कंपनियों के लिए वित्त पोषण का प्रमुख स्रोत रहे हैं लेकिन आईएल एंड एफएस में चूक के बाद वे ही नकदी की समस्या से जूझ रहे हैं। नायर ने कहा, ‘‘इस 25,000 करोड़ रुपए के कोष से नकदी की स्थिति में सुधार होगा। लेकिन यह देखना है कि इसे कितनी तेजी और पारदर्शी तरीके से किया जा सकता है।”
उल्लेखनीय है कि हाल में केंद्र सरकार ने 1,500 से अधिक अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 25,000 करोड़ रुपए के कोष को मंजूरी दी है। यह कोष उन परियोजनाओं को भी मिलेगा जिन्हें एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) घोषित किया जा चुका है या ऋण शोधन कार्यवाही के लिए स्वीकार किया जा चुका है। सरकार की इस पहल से 4.58 लाख आवासीय इकाइयों को मदद मिलेगी। इसके तहत रेरा पंजीकृत सकारात्मक नेटवर्थ वाली कंपनियों को ही कोष उपलब्ध कराया जाएगा। स्टार्टअप के चयन के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘हमें 2,000 पंजीकरण मिले थे जिसमें से हमने पहले चरण में करीब 700 का चयन किया। उसके बाद उसमें से 60 स्टार्टअप का चयन किया गया। नायर ने कहा कि बाद में ज्यूरी सदस्यों ने तीन स्टार्टअप का चयन किया। इसके तहत उप स्टार्टअप को समर्थन दिया जाएगा जो रियल एस्टेट क्षेत्र के लिये प्रौद्योगिकी समाधान पर काम कर रहे हैं।

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