करीब १०० किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा के चक्कर लगा रहे चंद्रयान-२ के ऑर्बिटर पर लगे अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों ने चंदा मामा की सतह पर छिपे रहस्यों से पर्दा उठाना शुरू कर दिया है । ऑर्बिटर पर लगे उच्च क्षमता वाले कैमरे ने जर्मन अंतरिक्ष वैज्ञानिक के नाम रखे गए गड्ढे की बेहतरीन तस्वीरें खीचीं हैं, वहीं एक्स- रे स्पेक्ट्रोमीटर ने आवेशित कणों (चार्ज पार्टिकल) का पता लगाया है । इसरो ने चंद्रयान-२ के ऑर्बिटर के कैमरे से चांद की खींची तस्वीरें शुक्रवार को जारी की थी । ऑर्बिटर के हाई रेजॉलूशन कैमरे से खींची इन तस्वीरों में चांद की अलग ही झलक देखने को मिल रही है । इन तस्वीरों में बोगुसलावस्की ई गड्ढे और उसके आसपास की तस्वीरें शामिल हैं । यह तीन किमी गहरा यह गड्ढा चंद्रमा के साउथ पोल इलाके में आता है । इस गड्ढे का नाम जर्मन अंतरिक्ष वैज्ञानिक पालोन एच लुडविग वोन बोगुसलावस्की के नाम पर रखा गया है ।
चंद्रयान-२ के कैमरे द्वारा ली गई तस्वीरों में कुछ छोटे गड्ढे भी दिखाई दे रहे हैं । इसरो का यह कैमरा इतना शक्तिशाली है कि उससे २५ सेंटीमीटर की दूरी पर पड़े दो पत्थरों को भी अलग-अलग पहचाना जा सकता है । इसरो ने कहा कि २५ सेंटीमीटर के रेजॉलूशन से खींची गई ये तस्वीरें अब तक के स्पेस मिशन में खींची गई तस्वीरों में सबसे अच्छी है । इसरो ने कहा कि भारत में निगरानी या जासूसी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उच्च क्षमता के जासूसी सैटलाइट से ज्यादा अच्छी तस्वीर ऑर्बिटर खींच रहा है । उधर, चंद्रयान-२ के सॉफ्ट एक्स- रे स्पेक्ट्रोमीटर ने अपने कुछ दिन के परीक्षण में चार्ज पार्टिकल्स का पता लगाया है । यह स्पेक्ट्रोमीटर सोडियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और आयरन का पता लगाने में सक्षम है । आपको बता दें कि २२ जुलाई को लॉन्च किए गए चंद्रयान-२ में लैंडर और रोवर को चांद पर उतरना था जबकि ऑर्बिटर के हिस्से में चांद की परिक्रमा कर जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी थी । ७ सितंबर को लैंडर चांद की सतह को छूने से ठीक पहले करीब २.१ किमी ऊपर इसरो के रेडार से गायब हो गया और अब तक उससे संपर्क स्थापित नहीं हो सका है । हालांकि ऑर्बिटर इस समय चांद की सतह से करीब १०० किमी के ऊपर से परिक्रमा कर रहा है । चंद्रयान-२ का ऑर्बिटर ७.५ साल तक अपना काम करता रहेगा ।
આગળની પોસ્ટ