Aapnu Gujarat
આંતરરાષ્ટ્રીય સમાચાર

लैंडर विक्रम की चांद पर हुई थी हार्ड लैंडिंग, नहीं मिली लोकेशन : नासा रिपोर्ट

चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम को लेकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। नासा के अनुसार, लैंडर विक्रम की चांद के सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के दौरान विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया था। नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्षयान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान उस जगह की कई तस्वीरें ली, जहां विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिग के जरिए उतरने का प्रयास किया था लेकिन एलआरओ लैंडर के उतरने का स्थान या उसकी तस्वीर लेने में सफल नहीं हुआ।

क्या है एलआरओ
एलआरओ यानी लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO)। 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने 18 जून 2009 को इसे लॉन्च किया था। यानी आज से करीब 10 साल पहले।
यह नासा का रोबोटिक स्पेस्क्राफ्ट है जो इस वक्त चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। 
नासा के अनुसार, LRO से मिले डेटा को व8ह अपने आने वाले रोबोटिक व मानव मिशनों की योजना तैयार करने में इस्तेमाल करता है।

नासा का LRO और उसमें इस्तेमाल हुई तकनीक आज से 10 साल पुरानी है। जबकि चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर में ऑप्टिकल हाई रिजॉल्यूशन कैमरा (OHRC) लगा है, जो आधुनिक तकनीक से बना है। चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर में लगा कैमरा (OHRC) चांद की सतह पर पड़ी 30 सेमी ऊंचाई वाली वस्तु की तस्वीर ले सकता है। जबकि नासा का LRO इतनी छोटी चीज की तस्वीर नहीं ले सकता। उसकी सीमा 50 सेमी है। यानी साफ तौर पर यह चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर से कमजोर है।
खगोलविदों के अनुसार इसरो के ऑर्बिटर का कैमरा ज्यादा ताकतवर है, लेकिन इसकी तस्वीर से विक्रम लैंडर की लैंडिंग की घटना का विश्लेषण नहीं किया जा सकता। क्योंकि, LRO के पास वहां का पुराना आंकड़ा मौजूद है। यानी वह बता सकता है कि चांद पर जिस जगह विक्रम लैंड हुआ, वहां लैंडिंग से पहले और बाद में क्या बदलाव हुए?

Related posts

તમારા પ્રદેશમાંથી આતંકવાદ બંધ કરો : ભારત-અમેરિકાની પાકિસ્તાનને ચેતવણી

aapnugujarat

चीन ने हजारोंटन सैन्य साजोसामान तिब्बत में भेजा

aapnugujarat

ગુજરાત ચૂંટણી સાથે તેને કોઇ લેવા દેવા નથી : પાક

aapnugujarat

Leave a Comment

UA-96247877-1