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बुलेट ट्रेन भूमि अधिग्रहण को आखिर में हाईकोर्ट की मंजूरी

अहमदाबाद -मुंबई बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के लिए हुए भूमि अधिग्रहण को गुजरात हाईकोर्ट ने एक महत्व के फैसले द्वारा मंजूरी दे दी है । हाईकोर्ट ने किसानों द्वारा की गई चार गुना मुआवजा देने की मांग को खारिज कर दिया गया । हाईकोर्ट के जस्टिस अनंत दवे और बिरेन वैष्णव की खंडपीठ ने इस केस में अपना फैसला सुनाकर भूमि अधिग्रहण को योग्य बताया गया । हालांकि, किसानों की भूमि का चार गुना मुआवजा चुकाने की किसानों की अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और पूरे मुआवजे का मुद्दा हाईकोर्ट ने खुला रखा था । हाईकोर्ट ने आंतर्राज्य प्रॉजेक्ट होने के बावजूद भी केंद्र सरकार को अथॉरिटी बताई गई है । दूसरी तरफ, गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले से नाराज किसानों द्वारा इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी । याचिकाकर्ता किसानों की मांग थी कि, मुआवजे की रकम २०११ में तय किए गए जंत्री के अनुसार नहीं लेकिन फिलहाल मार्केट में चल रहे संबंधित क्षेत्र की भूमि की कीमत के अनुसार होनी चाहिए । मुआवजे की रकम केंद्र सरकार की भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार चुकाया जाए गुजरात राज्य सरकार की भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार नहीं । इस तरह हाईकोर्ट के इस फैसले की वजह से किसानों को बाजार कीमत से कम रकम का मुआवजा चुकाया जाए ऐसी स्थिति बन गई है और इसी वजह से किसानों में कुछ निराशा की भावना फैल गई । एनएचआरसीएल (नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड) के डायरेक्टर अनुसार, ट्रेन के रूट के लिए गुजरात के ५३०० से ज्यादा प्लॉट की भूमि अधिग्रहण किया जाएगा, जिसमें २६०० प्लॉट यानी कि आधी भूमि अधिग्रहण हो गई है । बाकी की भूमि के लिए काम चालू है । बुलेट ट्रेन का पूरा प्रॉजेक्ट दिसम्बर २०२३ तक में पूरा हो जाएगा । साबरमती से मुंबई तक का करीब किराया ३००० रुपये जितना हो सकता है । सिविल वर्क के लिए भी आगामी महीने में नीविदा प्रक्रिया शुरू हो जाएगा । चार पांच महीने में प्रक्रिया पूरी होने के बाद कामकाज शुरू किया जाएगा ।

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